Friday 18 March 2016

वह बस इतना बोल देती ....


मेरे भटकते अरमानों को एक  नई दिशा में मोड़ देती
मेरी तन्हा रातों को नए ख़्वाबो से जोड़ देती
मेरी उदास दिन को हल्की सी मुस्कान से झिंझोड़ देती
काश  वह एक  बार मुझे अपना बोल देती
वह  बस इतना बोल देती ....

वह  मेरी होगी या नहीं यह बात कुदरत पर छोड़ देती

मेरी जिन्दगी के इन लम्हों को थोडा रस में भिगो देती
दो पल खुद भी जीती और मुझे भी जी लेने देती
प्यार की दो बातें  बस धीरे से बोल देती
काश वह एक  बार मेरी बनकर सोच लेती
वह  बस इतना बोल देती ....

मैंने  कब उससे पूरी जिन्दगी की ख़ुशी मांगी थी

मैंने  कब उसकी करुणा और त्याग की कीमत आंकी थी
मैंने  कब उसकी दोस्ती गहराई नापी थी
मैंने  कब उसके दिल को ठेस मारी थी
मैंने  तो बस उसके सहारे अपनी जिन्दगी संवारी थी
काश वह एक  बार मेरे दिल को अच्छे से तोल लेती
वह  बस इतना बोल देती ....

लिखी उसने हजार बातें  , सुनाये अपने दिलो ग़म  भी

मैंने  भी ना जाने कितने अफसाने किये उसके लिए भी
इन सब दर्दीली बातों के बदले
वह  अपने दिल में थोडा सा इश्क घोल लेती
मेरी प्रेम की हजार बातों के बदले
वह  थोडा सा अपने को ढीला छोड़ लेती
काश वह एक  बार मुझे भी आई लव यू बोल लेती
वह  बस इतना बोल देती ....

By
Kapil Kumar 

No comments:

Post a Comment