मुझे देवता बना कर, मंदिर में कैद मत करो
मेरी वंदना करके , मुझे अपने से दूर मत करो
मैं तो हूँ इन्सान, तुम्हारे जैसे हाड़मांस का
मुझ पर बस प्यार की, सुबह शाम थोड़ी सी कृपा करो .....
क्या करूँगा मैं, इतनी इज्जत पाकर
क्या मिलेगा मुझे, तुम्हारा शीश झुकाकर
आओ गले लगो मेरे , मुझे अपना बनाकर
मैं भी रहूँगा खुश बस , इंसा बनकर ....
By
Kapil Kumar