Showing posts with label हो सके तो मुझे भूला दो ?. Show all posts
Showing posts with label हो सके तो मुझे भूला दो ?. Show all posts

Saturday, 14 November 2015

हो सके तो मुझे भूला दो ?



मेरे कुछ लम्हे अभी भी तेरी यादो में बसे है ,मुझे अपनी उन यादो से मिटा दो .... मेरे उन आधे अधूरे सिसकते , तड़पते लम्हों को मुझे वापस लौटा दो ... मेरे कुछ लम्हे अभी भी तेरी यादो में बसे है ,मुझे अपनी उन यादो से मिटा दो .............


अलसाई और पथराई सी आँखों में अभी भी इन्तजार के कुछ पल छिपे है ... रोते दिल में अरमान अब थक कर सो चुके है , पलके अब उठती तक नहीं है ... वोह हमारी सारी बाते फिर से भुला दो , मुझे अपनी उन यादो से मिटा दो .....


बिस्तर की कुछ सिलवटों में , तकिये से चिपकने की कुछ कसमसाहट सी बची है.. होटो पे जगी वोह प्यास सी , मेरे अंदर तड़पके बस दम तोड़ रही है .... इस प्यास को अपनी नफरत से बुझा दो , हो सके तो मुझे थोडा सा जहर पिला दो ... अपनी इस बैचेनी को वापस अपने पास बुला लो ,मुझे अपनी उन यादो से मिटा दो .....


रात के अंधियारे में चमकी थी जो रौशनी सी , टूटे दिल के जुड़ने की जगी वोह आस सी... उस टिमटिमाते दिए को खुद बुझा दो ,इन जगे जज्बातों को फिर से वापस सुला दो ... मुझे मेरे अंधेरो में फिर से पहुंचा दो ,मुझे अपनी उन यादो से मिटा दो .....
तेरे इन्तजार की मीठी बैचेनी में, मेरी गन्दी बातो की वोह तेरी मासूम खिलखिलाहट मेरी सांसो में बसी तेरे प्रेम की खुसबू , अभी तक मेरे दिल में यूँही कंही दबी है इसे अपनी बेवफाई से खोद के उड़ा दो ,मुझे अपनी उन यादो से मिटा दो .....


जिसे प्रेम समझ हम कुछ पल के लिए जिए थे ,उन्हें झूठे वादे समझ कर भुला दो ... मुझे इक पागल दीवाना समझ लो , उसको यह नया जमाना दिखा दो .... जरूरत है मुझे भी अभी भी बहुत कुछ सिखने समझने की ,इस नादान को दुनिया की कड़वी हकीकत से रूबरू करा दो ,मुझे अपनी उन यादो से मिटा दो



उन उजली रातों और अँधेरे दिनों में , जब हम कुछ जागे और कुछ सोये से थे .... उन रातो को तो मै ले आया , दिनों को मैं तुम्हे दे आया था .... मुझे मेरे दिन भी लौटा दो , हो सके तो उन्हे रात बना दो मेरे कुछ लम्हे तेरी यादो में बसे है ,मुझे अपने उन यादो से मिटा दो .............

By
Kapil Kumar