मेरी मोहब्बत को, सिर्फ दोस्ती कह कर उसकी तौहीन मत करो
तुझे मुझसे ,अब तक नहीं हुआ प्यार इसका कैसे यकींन करो
लगता है तेरे दिल के राज , ताउम्र तेरे सीने में ही दफन रहेंगें
हो सके तो मुझे अपनी इन चाहतो से बस , अब मुक्त करो .....
समझा लूँगा दिल को , की मुझमे ही खोट था
मेरी वफ़ा और मोहब्बत के ताश का महल , निहायत ही कमजोर था
उसे तो टूटना था एक दिन , सिर्फ एक हवा के झोंके से
यह बात और है ,की उस झोके को हवा देने वाला कोई ग़ैर नहीं
मेरा अपना ही चित्तचोर था ......
By
Kapil Kumar