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जब चाँद ही मेरा मुझसे दूर हो .......
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जब चाँद ही मेरा मुझसे दूर हो .......
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कैसे होगा मेरा जीवन गुलजार जब मेरा माली ही है मुझसे बेजार .....
मुस्कराने की कोशिश में सिर्फ आह निकल आती है
दूर तू है जब मुझसे , फिर कैसे लवों पे हंसी आ सकती है
तू ही मेरा चाँद , तू ही मेरी आरजू है
कैसे हो चांदनी रात , जब चाँद ही मेरा मुझसे दूर हो ......
By
Kapil Kumar