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Wednesday, 9 December 2015

जब चाँद ही मेरा मुझसे दूर हो ......




कैसे होगा मेरा जीवन गुलजार जब मेरा माली ही है मुझसे बेजार  ..... 

मुस्कराने  की कोशिश में सिर्फ आह निकल आती है 

दूर तू है जब मुझसे , फिर कैसे लवों  पे हंसी आ सकती है 

तू ही मेरा चाँद , तू ही मेरी आरजू है 

कैसे हो  चांदनी रात , जब चाँद ही मेरा मुझसे दूर हो  ...... 


By
Kapil Kumar