यह कौन सा दर्द है जो लिए जा रहा हूँ
तू है यहां और मैं वहां जा रहा हूँ .....
इसे मिलने के लिए बिछड़ने का बहाना समझूँ
या फिर हमेशा के लिए दूर जा रहा हूँ .....
तुझे भुलाने की कोशिशें की मैंने हजार ,
बनाये कई अफ़साने की हो जायूँ दूर हर बार
हर बार दुरी ने जैसे खिंचा मुझे तेजी से तेरी तरफ
हर बार ऐसे बिना मर्ज़ का दर्द लिए जा रहा हूँ ....
मैं तेरे शहर से दूर जा रहा हूँ ......
By
Kapil Kumar
No comments:
Post a Comment