मोहब्बत की जंजीर .....
कर ले तू भी सितम
की हम भी आह ना करेंगें ..
मेरी आह के शोले
एक दिन तेरी आँखों से
शबनम बनकर ही गिरेंगें ....
तब मुझे आवाज़ दोगी
की अपना बना लो
तब हम ख़ाक से
कौन सी मोहब्बत का एहतराम करेंगें ....
अभी तो तुम उलझ जाओ अपनी वफ़ा के धागों में
हम मोहब्बत की जंजीरों को यूँही नीलाम करेंगें ....
By
Kapil Kumar
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