Sunday 2 October 2016

नारी की खोज –14

अभी तक आपने पढ़ा नारी की खोज भाग –--1 से 13 तक में ...की मैंने बचपन से आज तक नारी के भिन्न भिन्न रूपों को देखा .......मेरे इस सफ़र  की आगे की कहानी.....
गतांक से आगे .......

जैसे जैसे मनुष्य का विकास होता गया उसने अपने को खुश रखने और अपना मनोरंजन करने के कई साधन विकसित कर लिए ..उनमे से एक  था नृत्य और संगीत , मतलब नाच और गाना ...भारत के इतिहास को देखे तो राजा महाराजाओं के यहां  उनका मनोरंजन करने के लिए राज नर्तकी तो नवाब और सेठ लोग तवायफ़  के कोठो पर जाकर उनके नाच और गाने से अपना मनोरंजन कर लेते थे ...धीरे धीरे इनका रूप बदलता गया ....आजकल जवान लोग किसी डिस्को में जाकर इसका शगल पूरा करते है तो अधेड़ उम्र की औरतें  /लड़कियां किसी शादी के मौके पर लेडीज़ - संगीत के बहाने और आदमी सड़क पर बारात में नाच कर अपना अपना शौक पूरा कर लेते है ... ...

पर पश्चिम में लोग पार्टनर के साथ डांस करना पसंद करते है , क्योंकि ऐसा डांस एक  नर और नारी के बीच में जो सम्बन्ध स्थापित करता है , वह सिर्फ करने वाला ही समझ सकता है , बाल डांस या स्विंग या फिर कुछ और , आदमी और औरत के बीच एक  नयी तरह की केमिस्ट्री बना देता है ....जहां नर और नारी एक  साथ नाचते है ,वहां उनमें  नारी के प्रति प्रेम और सम्मान दोनों होता है ....यही वजह है पश्चिम में नारी को बराबर का अधिकार और सम्मान मिला हुआ है...

शायद आज की पीढ़ी में डिस्को का चलन भी इसलिए बढ़ा ...की कैसे दो अनजान लोग डांस के सहारे एक दूसरे को समझ सकते है ...हमारे देश में डांडिया के अलवा कोई ऐसा डांस नहीं, जहां मर्द और औरत एक  साथ नाचते हो और शायद यही वज़ह  है की जहाँ डांडिया होता है वहां औरत मर्द के साथ आजादी की साँस भी लेती है ....

मैं घर , बीवी और बच्चे से दूर एक अनजान शहर में अकेला अपना समय किसी तरह से काट रहा था .... की एक  दिन ऑफिस में मेरे साथ काम करने वाले किसी साउथ इंडियन लड़के ने अपने दोस्त श्रीधर को मेरे साथ रूम पार्टनर बनने का सुझाव दिया ,ताकि हम दोनों मिलकर अपार्टमेंट शेयर कर ले , जिसे मैंने  ख़ुशी ख़ुशी मान लिया ...

श्रीधर एक  24/25 साल का तेलगु लड़का था , जिसमे आत्मविश्वास और कंप्यूटर नॉलेज का टैलेंट कूट कूट कर भरा था , जहाँ एक तरफ मैं नौकरी में डरते , दबते हुए काम करता , क्योंकि एक  कड़वा अनुभव मेरे आत्मविश्वास को हिला चूका था ,वहीँ  दूसरी तरफ वह बिंदास होकर काम करता और साथ में पूरी ऐश भी करता , वह मेरे साथ काम करने वाले आम तेलगु लोगों  से थोडा जुदा था , जो पैसे खर्च करने के नाम पर उसे रूपये और डॉलर के मोल - तोल  में पड़ जाते थे ,उसे पैसे खर्च करने , पश्चिमी सभ्यता  का मज़ा मजा लेना आदि का भरपूर शौक था ...जैसे वह अमरीका की जिन्दगी को अच्छे से घोल कर पी जाना चाहता हो ...

इसके विपरीत, मैं एक  आम विवाहित आदमी वाली जिन्दगी बसर कर रहा था जैसे  नौकरी करना , घर पर खाना बनाना आदि और बाकी वक़्त में बीवी बच्चो का फोन पर हाल चाल पूछ कर गुज़ार  देता......शायद हम दोनों की उम्र और जिम्मेदारियों का फ़र्क  था की हम दोनों एक  घर में रहते हुए भी अलग लाइफ स्टाइल अपनाये हुए थे ....

एक  दिन शुक्र की शाम को श्रीधर जल्दी घर आ गया ....उसे यूँ आया देख मुझे हैरानी हुई ,तो वह मुझसे बोला , यार आज मैं कुछ दोस्तों के साथ डिस्को जाने वाला हूँ , आज तो मस्त माल के साथ फूल टू ऐश करेंगें , उसकी बात सुन मैं भी जोश में बोला यार डिस्को के बारे में सुना तो बहुत है पर देखा कभी नहीं ,मैंने भी अधीर होते हुए कहा ,क्या मैं भी तेरे साथ चलूँ ?  ....


इस पर वह असमंजस में पड गया और बोला , मैंने  भी कभी नहीं देखा , पर मैं अपने ऑफिस के कुछ दोस्तों  के साथ जा रहा हूँ , अगर वे  माने तो तू भी हमारे साथ चलना , अभी थोड़ी देर में वह लोग मुझे लेने आने वाले है ...मैंने  उसकी बात मान ली और सोचा देखते है क्या होता है ....

स्प्रिंग का महिना था और अभी भी रात में हल्की  ठण्ड हो जाती थी , इसलिए मैंने  जींस के साथ शर्ट और साथ में एक  हुडी वाला स्वेट शर्ट डाल लिया ,उधर श्रीधर ने कोई औपचारिक सा पेंट शर्ट पहन लिया ....मैं और श्रीधर तैयार हो कर उन लागों के आने का इंतजार करने लगे ...करीब आठ बजे एक  बड़ी सी स्पोर्ट्स वैन  हमारे घर आकर रुकी ,जिसमे से दो लड़के उतरे और अपार्टमेंट में आ गए .... श्रीधर ने मेरा उनसे परिचय कराया ,उनमे एक  देसी लड़का जिसका नाम रमन  और दूसरा वियतनामी जैसा जिसका नाम टुई था ,श्रीधर टुई से बोला यार , यह भी हमारे साथ चले तो कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ?.....

दोनों लडको की उम्र कोई 26/27  के करीब रही होगी , उन्होंने मुझे देखा और कुछ पल मन ही मन सोचा ...फिर औपचारिकता  वाले लहज़े  में बोले ...हाँ हाँ कोई बात नहीं कुछ एडजस्ट कर लेंगे ...फिर टुई मेरी तरफ देख कर बोला यार तुमने कपडे तो ऐसे ही डाल लिए कुछ डैशिंग जैसा पहनते ,अब कैनवास के जूतों और हुडी पहनकर कैसे डांस करोगे ? मुझे समझ ना आया की मैं क्या कहू , क्योकि मुझे लगा की ऐसे क्लब में कुछ भी पहनकर जा सकते है ...रमन  ने भी मुझे देख अपना मुंह  बिचका दिया ,जैसे मन ही मन कह रहा हो की यह अंकल हमारे साथ कैसे एडजस्ट होगा ....टुई यहीं  का पला बड़ा हुआ था जबकि रमन  इंडिया से कोई साल भर पहले आया था ......उस वक़्त दोनों अपने को बड़ा स्टाइलिश और स्मार्ट समझ रहे थे ...


वह तीन कुंवारे  और मैं 33/34 की उम्र का अधेड़ जिसके जिम्मे एक  बीवी और बच्चे का बोझ , उसपर  उसकी हल्की  सी निकलती तोंद और चेहरे पर  साफ़ साफ़ झलकता अधेड़पण ,यूँ भी देखने में मैं उनके साथ थोडा मिसफिट जैसा ही था ...मैंने  बदले में एक  मुस्कान मारी और सोचने लगा , की क्या दिन आगये , हम भी एक  ज़माने में "के के बॉस" हुआ करते थे ....उस वक़्त उनकी हिक़ारत को मैंने मज़ाक  में उड़ा दिया या यूँ कहे की मुझ पर डिस्को जाने का भूत इतना चढ़ा था ...मैंने  उनकी सोच और नज़रों  की परवाह ही नहीं की और उनके साथ में उनकी गाडी में लटक लिया ....गाडी रास्ते पर जा रही थी और मेरी सोच कहीं ओर  ...मेरा मन अपने आप को तसल्ली देने के लिए सोच रहा था ..की ...

“शेर कितना भी बुड्डा हो जाए घास फिर भी नहीं खाता और उसकी एक  दहाड़ और झपटे से खूंखार से खूंखार कुत्ते दुम दबाकर भाग जाते है ".....

मैं अपने दिल को तसल्ली दे रहा था , पर उस वक़्त मुझे क्या पता था की इस शेर की पूंछ को अभी कई बार और मरोड़ा जाना बाकी था ....थोड़ी देर चलने के बाद गाड़ी किसी अपार्टमेंट काम्प्लेक्स के पास आकर रुक गई , मुझे बड़ी हैरानी हुई की हम लोग इतनी जल्दी कैसे पहुँच गए .?.. .वहां डिस्को जैसा तो कुछ नज़र  नहीं आ रहा था ....मैंने हैरानी से पुछा क्या हम डिस्को क्लब पहुँच गए , इस पर तीनों  ने एक  ठहाका लगाया और बोले , अरे डूड सब्र करो , इतनी जल्दी भी क्या है , वहां  भी पहुँच जायंगे ?...

फिर श्रीधर ने मुझे बताया की यहाँ  से कुछ लड़कियां भी हमारे साथ चलेंगी और ऐसा कह तीनों एक अपार्टमेंट की तरफ बढ़ गए ....उनके पीछे पीछे घिसटता हुआ मैं भी अपार्टमेंट में दाखिल हो गया ..जैसे ही अपार्टमेंट का दरवाजा खुला की , दो गोरी लडकियां ख़ुशी में चिल्लाते हुए बाहर  आई ...एक  टुई से तो दूसरी रमन  से लिपट गई , फिर वो ,उन दोनों का हाथ पकड उन्हें अपार्टमेंट के अंदर ले गई....

उनकी नजर जब श्रीधर की तरफ पड़ी तो दोनों ने हाथ बढाकर उससे हाथ मिल लिया , मुझे देख उन्होंने औपचारिकता वाला हेल्लो कह कर अपनी अपनी नज़र  टुई और रमन पर  जमा दी ...वे चारों  आपस में बात बात पर  कभी “हैं” तो कभी “ऊ” करके हँसते और एक दूसरे  से लिपट जाते ....

मैं और श्रीधर कबाब में पड़ी हड्डी की तरह वह नज़ारा देख रहे थे ...हकीक़त  में श्रीधर तो कबाब में पड़ी हड्डी था और मैं तो हड्डी भी नहीं लग रहा था .....क्योंकि  श्रीधर उन लोंगों के वार्तालाप में कभी कभी कुछ हंस बोल देता और मैं मूक दर्शक बना हुआ , उनकी बातें सुन भर रहा था ....मैंने  श्रीधर से पुछा , यह कौन बला है तो श्रीधर बोला यह इसकी  गर्लफ्रेंड है , यह भी हमारे साथ डिस्को जायंगी ...

फिर श्रीधर ने जैसे मुझसे पूछ लिया , तुझे डांस वगैरह  आता तो है ना ? मैंने  श्रीधर की तरफ देखा और बोला , अभी तूने मुझे देखा ही कहाँ है और ऐसा कह मैंने एक गहरी साँस ली शायद श्रीधर भी मन ही मन मुझे ला कर पछता रहा था , की काहे एक  बीवी बच्चे वाले आदमी को साथ लेकर आ गया...वह इन सबके साथ कैसे एडजस्ट होगा ?... थोड़ी देर की उनकी मस्ती भरी बातों के बाद हम सब आकर वैन में बैठ गए और डिस्को की तरफ चल दिए ...

मैंने  उन दोनों लडकियों को गौर से देखा , दोनों करीब 22/24 के बीच की गोरी लड़कीयां थी , उनमे से एक  पतली दुबली सी और दूसरी देखने में थोड़े  भारी बदन की थी ,जो देखने में कहीं  से भी बहुत आकर्षित तो नहीं कही जा सकती, सिवाय इसके की वह दोनों गोरी थी ,जिनमें  दिखावा और झूठ ऊपर से नीचे  तक ठूंस ठूंस कर भरा था , दिखावे के लिए वह ऐसी बातें और नाटक कर रही थी की ना जाने कितनी समझदार और खुबसूरत है , पर ध्यान से देखने में मैंने  पाया की उन्होंने ढंग के कपडे तक नहीं पहने हुए थे ,एक  के स्वेटर का छेद और दूसरी की सैंडल का तलुआ उनकी माली हालत की पोल खोलता नज़र  आ रहा था ...उसपर उनके चेहरे पर पुता हुआ ढेर पाउडर , बेतरबी से लगी लिप ग्लॉस और बैडोल  सा शरीर उनकी मामूली सुन्दरता , और सलीके की हकीक़त  अपने ही शब्दों में बता रहा था ....

उन लोगो की मौज़ मस्ती में हज़ारों बातें  थी और बीच बीच में वह लोग मुझसे भी कोई एक  आध सवाल जवाब कर लेते , उन्हें मेरे कपड़े  देख ऐसा लगा , की यह डिस्को में क्या कर पायेगा ? .... शायद डिस्को में लोग हुडी वाला स्वेट शर्ट पहनकर नहीं जाते थे ... वहीं टुई और श्रीधर ने एक  लेदर की जैकेट तो रमन  ने स्पोर्ट्स कोट पहना हुआ था , लडकियों ने भी कोई पार्टी ड्रेस जैसा गाउन पहना हुआ था ...दोनों लडकियों ने एक बार भी ना मेरी तरफ देखा और ना ही मेरी किसी बात पर रेस्पॉन्स  दिया ....मुझ  से रिलेटेड कोई बात आती तो दोनों अपना मुह बिचका देती ,मैंने  भी उनकी बेरुख़ी को उनकी अदा समझ अपना ईगो थोड़ी देर के लिए मार लिया ...की अचानक  सब बोले अरे लौटते  हुए तो देर रात हो जायेगी , फिर गाडी कौन ड्राइव करेगा , क्योंकि डिस्को में जाकर सब पी कर टुन्न होने वाले थे ...

इसका भी एक  हल यह निकाल लिया गया की क्यों ना किसी और को साथ में ले लिया जाये जो पीता ना हो, लौटते हुए वह गाड़ी भी चला लेगा ....उनमे से जो लड़की दुबली पतली थी वह टुई की गर्लफ्रेंड एलेक्स थी, जिसका कुछ दिन पहले ही एक  लड़के से ब्रेकअप हुआ था , एलेक्स ने मुस्कराते हुए अपने एक्स बॉयफ्रेंड जिसका नाम माइकल था को बुलाने का सुझाव दिया , क्योंकि वह भी उन सबका दोस्त था , फिर उसने सबके सामने उससे कुछ चिकनी चुपड़ी बातें  की और उसे साथ में चलने को राज़ी कर लिया , रास्ते में माइकल को भी वैन में चढ़ा लिया गया ..अब वैन में हम 7 लोग किसी तरह ठूंस कर डिस्को पहुँच गए .....

डिस्को में एक  एंट्री फीस थी , सबने अपनी अपनी फीस दी और अंदर जाने से पहले मिलने का टाइम फिक्स कर लिया की करीब 2 बजे सब यहाँ एंट्रेंस वाले गेट पर सब मिल जायंगे और माइकल बियर और दारु से दूर रहेगा , ताकि लौटते हुए वह गाडी चला सके ...क्योकि पी कर गाडी चलाते हुए पकड़े  जाने पर ,लोगों को मोटा ज़ुर्माना और कभी कभी जेल की हवा भी खानी पड सकती थी ...

डिस्को के अंदर घुसते  ही सब उडन छू हो गए , मैं जिन्दगी में पहली बार डिस्को आया था , यहां क्या होता है , कैसे होता है इसकी मुझे भनक भी ना थी ,दूसरे  देश भी नया और उसके तौर- तरीके भी अलग , क्या करना है और कैसे करना है जैसे मुझे कुछ पता ही ना था , सब लोग पहले ही मुझसे दूर खिसक लिए, की , यह बला उनके साथ चिपकी ना रहे , टुई और रमन  , अपनी अपनी गोरियों के साथ तो श्रीधर और माइकल किसी और कोने में खिसक गए ...

मैं डिस्को के मैंन हॉल  में घुसा तो , मेरी हालत पुरानी  हिंदी फिल्मों के उस नायक जैसी हो गई जो जब गॉंव से शहर आता है और वहां की बड़ी बड़ी इमारतों  और ट्रैफिक को देख हैरान और परेशान  हो ,कभी इधर तो कभी उधर धक्के खाता फिरता है ....

मैंने किसी तरह अपने आत्मविश्वास को समेटा और डिस्को हाल के डांस फ्लोर पर अंदर दाखिल हो गया , यहां  का माहौल ही बहुत अजीब था ,म्यूजिक के नाम पर एक  कान फोडू शोर मच रहा था , जिस की धून पर चारों तरफ लड़के- लडकियां , आदमी -औरत अपनी ही मस्ती में कहीं अकेले तो कहीं एक दूसरे  से चिपक कर नाच रहे थे .... हॉल  में कुछ रंग बिरंगी सी लाइट बहुत तेजी से जल- बुझ रही थी ,पर वह भी इतनी हल्की की थी की वहां कौन है कुछ भी अच्छे से ना दीखता था , उसपर वह लाइट भी कुछ अजीब थी , जो कपड़ो और शरीर पर पड़ने के बाद इस तरह का  रिफ्लेक्शन पैदा करती ....की ..देखने में सब लोग भूत , चुड़ैल  या ड्रेकुला जैसे लगते थे ....मैंने  किसी तरह से आँखे बड़ी कर वहां  का जायज़ा  लिया ...

हॉल के एक  कोने में बार था और दो कोनों पर कुछ छोटे से स्टेज से बने हुए थे , जिस पर चढ़कर कुछ लड़के और लड़कियां मस्ती में नाच रहे थे ...मैं थोड़ी देर तो हाल में ऐसे ही घूमता रहा और वहां का नज़ारा लेता रहा , मुझे समझ नहीं आ रहा था , की कैसे यह लोग अपने आप में ही ठुमक कर नाच रहे है ...क्योंकि वहां नाच की ना कोई शुरुवात थी न ही कोई अंत...मैंने वहां  की जलती बुझती रौशनी में अपने साथ आये लोगो को टटोला , पर मुझे ढूंढे से भी कोई ना मिला ....

मेरी समझ में नहीं आ रहा था , की मैं नाचूँ तो कैसे ?  ना तो मुझे म्यूजिक का पता लग रहा था ना ही किसी गाने के बोल समझ आ रहे थे ,इतने शोर शराबे में अंग्रेजी गाने और म्यूजिक मेरी समझ और पहुँच से कोसों दूर थे , अब जोश में डिस्को मैं आ तो गया पर मन ही मन पछता रहा था की मैं यहां  क्या करने चला आया , यूँ भी मुझे अंग्रेजी गानों और म्यूजिक की समझ थी , ना ही लगाव और उसपर  मुझे डांस करना भी कोई बहुत ज्यादा पसंद नहीं थी .....शायद डिस्को देखने की ललक मुझे वहां खीँच लाइ थी ...


फिर मैंने वहां  नाचते लोगों को ग़ौर से देखा की अधिकतर लोग बस झूम से रहे थे , शायद कायदे से डांस करना कुछ को ही आता था , बांकी सब अपने पार्टनर से चिपक भर रहे थे , मैंने  भी सोचा , जब आये ही गए है तो क्यों न चलो कुछ शरीर हिला ही लिया जाए ,अब मरता क्या ना करता , मैं भी एक  कोने में जाकर अपने बदन को अपने ही तरीके से तोड़ने मरोड़ने लगा ... यूँ तो मुझे कोई  नियम वाला प्रोफेशनल डांस का ऐ बी सी भी नहीं आता , पर मेरा भी फलसफ़ा था की डांस में कोई नियम नहीं होता , जिस भी सुर और ताल में आपके कदम चले वही डांस है ....

मैंने  देखा कुछ लोग , अपनी ही मस्ती में बस अपने शरीर को एक रिदम  में लहरा रहे थे ,अधिकतर लोग जिस तरह का डांस कर रहे थे , उसमे दो चार तरह के स्टेप थे , जो मैंने  भी अब तक करने सीख लिए थे उसमे डांस जैसा कुछ खास ना था जैसा की मैं अपने मन में सोच रहा था , हॉल में हल्का सा अँधेरा था ,ऐसे में किसी की सूरत बहुत अच्छे से दिखलाई नहीं पड़ती थी , जब तक वह इन्सान आपके बहुत करीब ना आजाये , ऐसे में आप कैसा नाचते है इस बात की शर्म और लज्जा की परवाह जैसे किसी को ना थी , शायद इस बात को सोच मैं भी अपने आप क़दमों को एक  ताल में चलाने लगा ...

अचानक झूमते हुए मैंने  महसूस किया की एक  खुबसुरत सी लड़की , जिसके लम्बे लम्बे बाल उसके क़दमों  के साथ साथ लहरा रहे थे मेरे करीब अकेले ही नाच रही है , मैं भी मस्ती की रो में बहता हुआ उसके सामने जाकर अपने क़दमों  को एक  ताल में चलाने लगा...वह शायद अपनी सहेलियों के साथ आई थी पर इस वक़्त बिना पार्टनर के अकेली ही थिरक रही थी , ऐसे में उसे मेरे साथ थिरकने में कोई आपत्ति न लगी , वैसे भी वहां कौन किसके साथ डांस कर रहा था , इसका पता तो खुद नाचने वालों को भी नहीं था ...

थोड़ी देर जब वह मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर नाचने लगी, नाचते नाचते वह मेरे थोड़ा और करीब आ गई ,इस वक़्त उसकी पीठ मेरे सामने थी , मैं भी थोडा और करीब चला आया , अब हम दोनों एक दूसरे से लगभग चिपक कर डांस कर रहे थे , हम कितनी देर ऐसे रहे यह तो मुझे पता नहीं , तभी फ्लोर पर डांस के वक़्त घूमते हुए मेरी नज़र  टुई पर पड़ी जो अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ डांस कर रहा था, न जाने कब से टुई मुझे घूर रहा था , मैंने  उसे देखा तो उसकी आँखों में हैरानी के भाव थे , क्योंकि वह अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भी थोडा दूर से डांस कर रहा था और मैं किसी अनजान  लड़की के साथ चिपक कर डांस कर रहा था , जिसका मुझे नाम क्या चेहरे का भी अच्छे से पता नहीं था .. .
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अचानक म्यूजिक बंद हुआ , शायद थोड़ी देर के लिए ब्रेक हुआ था , हाल में लाइट जली तो सबके चेहरे दिखलाई दिए , रमन  अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चिपका हुआ मेरी तरफ ही घूर रहा था , जैसे ही लाइट जली थी मेरे साथ डांस करने वाली लड़की एक्स क्यूसमी बोलकर मुझसे विदा लेकर अपनी सहेलियों की तरफ चली गई ...उसे जाते हुए मैंने ग़ौर  से देखा तो वह इक 20/22  की एक निहायत  ही खुबसुरत लड़की थी , जिसे अँधेरे में मैंने  ढंग से देखा तक नहीं था ....

उसके जाते ही अचानक श्रीधर कहीं  से प्रगट हुआ और मेरी तरफ खिसक आया ....उसकी आँखों में हैरानी के भाव थे , उसने आते ही मुझसे पुछा , अरे अंकल , किसके साथ चिपक चिपक कर नाच रहे थे ....मैंने  हँसते’ हुए कहा , मुझे नहीं मालूम , मैं तो बस ऐसे ही डांस फ्लोर पर उसे मिल गया , श्रीधर को मेरी बात का विश्वास ना हुआ , मैंने  उससे पुछा तुम लोग कहाँ गायब हो गये थे , तो श्रीधर बोला , मैं नीचे  के फ्लोर पर गया था ,वहां  रॉक म्यूजिक था ,मैं बोला तो इस फ्लोर पर  कौन सा म्यूजिक था , वह बोला, इस फ्लोर पर  जैज़था  जो मुझे ज्यादा पसंद नहीं और तीसरे फ्लोर पर  क्लासिकल पॉप था ...

श्रीधर की बात सुन मुझे कुछ समझ ना आया की यह सब क्या है ? मेरी नज़र  में तो पॉप, क्लासिक म्यूजिक सब एक थे , फिर भी अपनी तसल्ली के लिए मैं दोनों फ्लोर पर देखने गया ,की हो सकता है की दूसरा म्यूजिक बेहतर हो , हर जगह मुझे  एक  जैसा ही कान फोडू शोर सुनाई दिया ...


थोड़ी देर डांस के बाद मुझे भी प्यास लगी तो मैंने  भी एक /दो बीयर गटक ली और फिर से अपनी ही लय और ताल में फ्लोर पर थिरकने लगा , पता नहीं नाचते हुए कौन मेरे पास कब आया और कितनी देर नाच कर आगे बढ़ा मुझे कुछ याद नहीं , बस मुझे इतना याद था , की मैं बीच बीच में कुछ मखमली ज़िस्मों के साथ चिपक कर उनके क़दमों  के साथ कदम मिला भर रहा था ...पता नहीं लडकियों को अनजान लोगो के साथ चिपक कर नाचने में क्या मज़ा आ रहा था ,यह भी अपने आप में खोज का एक  विषय था ....


शायद यह अपने तरह का एक  थ्रिल था , जिसमे हर इन्सान अपनी क़ाबलियत  और आकर्षण को अपने ही तरीके से देख और परख़ रहा था ....
ऐसी चिपका चिपकी में कब मेरे अंदर का मर्द जाग कर हुंकारे लेने लगा मुझे पता भी न चला , एक  तो बीयर का सरुर , साथ में चिपकते मखमली जिस्म की गर्मी और उसपर  डांस की थकवाट ,ऐसे में डांस करते करते मेरा शरीर पसीने से लथपथ हो चूका था ....मेरा मन अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था ...की अचानक मुझे पेशाब जाने की तलब हुई ...मैं जेंटस बाथरूम की तरफ चला गया ....बाथरूम के हाल में कुछ दरवाजे नुमा नार्मल टॉयलेट तो कुछ खुले हुए कमोड कमोड कमोड मर्दों के पेशाब करने के लिए लगे हुए थे ....

अपनी ही धुन में खोया मैं अंदर गया तो देखा सारे मर्दों वाले कमोड भरे हुए थे ,इसलिए मैं एक  टॉयलेट के कमोड पर  ज़िप खोलर पेशाब करने लगा की , तभी मैंने  कुछ लडकियों की आवाज सुनाई दी , जो हमारे बाथरूम में घुसी हुई थी और वहां पेशाब कर रहे लड़को से खाली टॉयलेट को इस्तमाल करने की गुज़ारिश  कर रही थी , कुछ लड़के नशे में धुत अपनी पेंट को नीचे किये हुए , अपनी मर्दानगी को लहरा लहरा कर उसके दर्शन उन्हें करा रहे थे , तो कुछ टॉयलेट के फ्लोर पर ही लेटे हुए थे .....

वहां  का नज़ारा  भी अजीब था ,अधिकतर लड़के अपने अपने मर्दों को खुले में हिलाते हुए कभी कमोड पर तो कभी फ्लोर पर  पेशाब कर रहे थे और कुछ लड्खडाते हुए बीच बीच में लडकियों को उसकी झलक भी दिखा देते , एक  दो को तो लडकियों ने संभाल तक रखा था , वरना वह उन्ही के ऊपर लुढकने के लिए तैयार थे ....तो कुछ लड़के लड़कियां आपस में एक दूसरे  से गूँथे  पड़े थे , वह शायद उनके साथ नशे की हालत में बाथरूम में आधे अधूरे सेक्स की चाहत में अंदर चली आई थी ...पर अधिकतर लड़कियां सब कुछ जानकर भी अनजान बनने का नाटक कर रही थी तो कुछ टॉयलेट में जल्दी से जल्दी बाथरूम करके वहां से निकल जाना चाहती थी ....

यूँ तो मुझपर  भी हल्का सरुर था , पर इतना भी ना था की मुझे कुछ समझ ना आये , मुझे हैरानी इस बात की थी की यह लड़कियां मर्दों के बाथरूम में क्यों चली आई ?.. अभी मैं एक  टॉयलेट का दरवाजा खोलकर पेशाब कर ही रहा था की टॉयलेट में पेशाब करते हुए अचानक मेरे कदम हल्के  से लड़खड़ाये , मैं अभी अपने को संभालता की दरवाजे के पास इंतजार में खड़ी एक  लड़की ने मेरी बांह थाम ली और बोली ,प्लीज यहां से जल्दी से हट जाए और मुझे बाथरूम करने दे और ऐसा कह वह मुझे वहां से जबरदस्ती खींच कर बाहर  की तरफ हटाने लगी ...

इस वक़्त मेरी ज़िप पूरी खुली हुई थी और मेरा मर्द अपनी ही हुंकार में बाहर  की दुनिया में झांक कर वहां के नज़ारों का मज़ा अपने ही तरीके से ले रहा था , उस लड़की को मेरी इस अवस्था से कोई मतलब ना था , उसे तो बस जल्दी से जल्दी टॉयलेट का इस्तमाल करना था ...मैंने  भी उसी अवस्था में खड़े खड़े अपने शरीर को 180 डिग्री पर उस लड़की की तरफ मोड़ दिया , मेरे अचानक मुड़ने पर उस लड़की ने समझा की मैं नशे में हूँ और लडखडा रहा हूँ तो उसने मुझे अपनी दोनों बांहों में थाम लिया और मैंने  भी अपने आप को सँभालने के लिए उसके एक उरोज़ को पकड अपना सहारा बना लिया , उस लड़की को लगा , की मैं इतने नशे में हूँ की मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है की मैं क्या और क्यों कर रहा हूँ .....मेरे हाथ में उसके उरोज़ की जगह, उस पर चढ़ी हुई ब्रा के पैड के साथ उसके ऊपर पहने हुआ ब्लाउज़ हाथ में खींचता हुआ चला आया .... शायद लड़की ने अपने छोटे से उरोजों  को बड़ा और आकर्षक दिखाने के लिए आगे से नुकीली भारी पैड वाली ब्रा पहनी हुई थी , जो उसने डांस करने की मस्ती में , ब्लाउज के साथ मिस फिट होकर इधर उधर हो गई थी .....

मेरी ज़िप अभी खुली हुई थी और पेशाब की बुँदे अपने ही फ्लो में इधर उधर बिखर रही थी , की मेरी निगाह उस लड़की पर पड़ी तो मैं चोंक गया वह तो टुई की गर्लफ्रेंड एलेक्स  थी , जो हमारे साथ ही आई थी , न जाने कैसे उस वक़्त मुझे उसकी शाम वाली मेरी तरफ उठती बेरुख़ी  याद आ गई और मैंने भी किसी जोश में अपने बचे हुए पेशाब की एक  पिचकारी को कमोड में करने की बजाय अपना मर्द लहराते हुए उसकी तरफ मार दी ...

मेरे पेशाब की धार से उसने अपने को कितना बचाया यह तो मुझे याद नहीं , पर उसका ब्लाउज़  और ब्रा का पैड मेरी गिरफ़्त से निकलता हुआ एक  गुलेल की तरह जाकर उसे लगा , उसने अपने की संभाला और मुझे टॉयलेट के दरवाजे से बहार धकेल कर जल्दी से खुद टॉयलेट में घुस गई ...ना जाने क्यों ऐसा करके मेरे दिल को एक  अजीब सा  सकून  मिला , क्योंकि आते वक़्त उसने अपनी हिक़ारत  भरी नज़रों और कटाक्ष से मेरा अनजाने में जो मज़ाक  बनाया था ,उसकी चुभन मेरे दिल में खिन फांस बनकर अटकी हुई थी , जो उस पिस्स की धार के साथ बाहर  निकल गई , अब मैं बहुत हल्का सा महसूस कर रहा था ...

मैंने  अपने कपड़ो को सही किया और बाथरूम से बाहर  चला आया , मेरी दिलचस्पी इस बात में थी की , आखिर लड़कियां , मर्दों के टॉयलेट में क्यों आगई ? , जब मैं लेडिज टॉयलेट की तरफ गया तो वहां का नज़ारा देख सब कुछ समझ आ गया , लेडीज टॉयलेट के बाहर  बहुत ही लंबी लाइन लगी हुई थी , ऐसे में जिन लडकियों से अपने ऊपर कंट्रोल नहीं हुआ और उनके साथ कुछ अपनी सेक्स की अधूरी चाहत को पूरा करने के लिए , बिना कुछ सोचे समझे जेंट्स टॉयलेट में चली आई थी...मुझे इस घटना ने एक  नया ही अनुभव दिया , की….

जब इन्सान का शरीर अपनी कुदरती ज़रूरत  को बर्दाश्त नहीं कर पाता है , तब सारी शर्म , हया , लोक लाज , मान सम्मान , ग़रूर की कोई कीमत नहीं रहती ....

वाहन से निबटने के बाद , मैं डांस फ्लोर पर वापस आ गया और डांस के बहाने थोड़ी देर कुछ अनजान जिस्मों के साथ लिपटा और नाचा ...रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी , ना मैंने  घड़ी देखि ना ही मुझे उसकी ज़रूरत ही  लगी ,की अचानक कहीं से श्रीधर प्रगट हुआ और बोला , भाई अब तो इन्हें छोड़ दे , चल चलने का वक़्त हो गया और ऐसा कह वह मुझे अपने साथ खींच कर हाल से बाहर  की तरफ ले आया ...

रात के 2:30 बज चुके थे ,थोड़ी देर में सब लोग आ गये तो हम गाडी में बैठकर घर की तरफ चल दिए , सारे रास्ते सबके बीच मैं ही चर्चा का विषय था , कि  मैं कब और किसके साथ डांस में चिपका हुआ था , उन्हें हैरानी इस बात की थी की मैं इतना बिंदास कैसे हुआ ...क्योंकि वैन में आते हुए , मैं बामुश्किल ही  कुछ शब्द ही बोला था , दूसरे  मैं उन लोगो से उम्र में कुछ बड़ा था  और उनके हिसाब से कपड़े  भी साधारण से पहना था ,मैंने  श्रीधर की तरफ नज़र  उठा कर देखा और एक  मुस्की मार दी ....उस वक़्त श्रीधर की आँखों में इर्ष्या के हल्के से भाव तैर रहे थे ...

रास्ते में टुई ने मुझसे पुछा , क्या मैं डिस्को पहले भी काफी आया हूँ ? मैं बोला , यह तो मेरा पहला अनुभव था , उसे मेरी बात का विश्वास नहीं हुआ , की... कैसे कोई पहली बार में इतने आत्मविश्वास के साथ दूसरे  अनजान लोगो के साथ नाच सकता है , उसने जोश में मुझसे पुछा , हाँ तो बॉस अगली बार डिस्को कब आओगे ...मैंने  अपनी गर्दन घुमाई और एलेक्स  की तरफ देखा , जिसने मेरी कातिल निग़ाहों से बचने के लिए अपनी नज़रें झुका कर दूसरी तरफ घुमा ली थी  ...

अपार्टमेंट आकर मैंने  श्रीधर से पुछा तूने कितनों  के साथ डांस किया ..तो उसने बड़ी लाचारी से गर्दन ना में हिला दी...की वह तो सिर्फ अकेला ही नाचता रहा , उसकी हिम्मत ही नहीं हुई की किसी लड़की के करीब चला जाये ,उस दिन के बाद श्रीधर कितनी बार डिस्को गया , यह तो मुझे पता नहीं , पर फिर कभी मुझे अपने साथ लेकर डिस्को नहीं गया और ना ही मैंने  उससे एलेक्स के साथ हुई घटना का कभी जिक्र किया ....

ना जाने क्यों उस रात के बाद मेरी डिस्को जाने की इच्छा ही नहीं हुई , क्योंकि मुझे समझ नहीं आया की , किसी लड़की/औरत के जिस्म से ,सिर्फ हल्के  से लिपटने भर के लिए मैं अपनी सारी रात किस लिए काली करूँ , वैसे भी मुझे इस तरह के फ़्लर्ट में कोई खास रोमांच नैक्सर  नहीं आया ....

उस घटना के बाद टुई जब भी कभी हमारे अपार्टमेंट आता , उसके बात करने का तरीका मेरे साथ बड़े अदब और तहज़ीब वाला होता , वह हर बार कहता , हेल्लो बॉस , उसकी यह बात सुन मैं मन ही मन बस मुस्करा देता और मन में सोचता ...कि

शेर हमेशा शेर होता है चाहे वह बुड्डा या बीमार ही क्यों ना हो , पर शिकार करना थोड़े ही भूलता है ....


क्रमश : ............

By 
Kapil Kumar 

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