Friday 17 June 2016

तू मेरा बलात्कार करेगा ??? (हास्य -व्यंग )



कुछ औरतें  अपने अपने ईष्ट देवी देवताओ से पूजा करते हुए प्रार्थना कर रही है....

हे ऊपर वाले ! हम अबला नारियों  की इज्जत अब तेरे ही हाथों में है , हमें इन दरिंदों , भूखे भेड़ियों से बचाओ , यह तो हमारे जिस्म की बोटी बोटी नोच डालेंगे , अब तो हम तुम्हारे ही सहारे है ...प्रभु हमें बचाओ ....

देश में आए दिन होते बलात्कार , छेड़छाड़ और मर्दों की हवस का शिकार होती लडकियों और औरतों  की हर वक़्त की पुकार भगवान के कानों में चुभती सी उतर रही है ...अब ऊपर वाला करे भी तो क्या .... उसने तो बस इन्सान बनाये थे , अब उसके बाद इन्सान ने अपने लिए क्या कायदे और कानून डाले , उसमे ऊपर वाला करे भी तो क्या करे? .... इक दिन ब्रह्माजी से रहा ना गया और वोह जमीन पर मंदिर में मूर्तियो के सामने दहाड़े मारती ,पुकारती , दुआ मांगती इक स्त्री के समक्ष प्रगट हो गए ...

यह औरत कोई आम औरत ना थी , यह दुर्गावाहिनी मोर्चे की कमांडर रागिनी थी , जो दहाड़े मार मार कर मंदिर का हाल बेहाल किये हुए थी  ...यह सब वह  आस पास खड़ी औरतो में अपना रॉब गाठने के लिए स्वांग भर कर रही थी ,जब की हकीकत में वह कहीं  से अबला ना थी ,उस पर कोई पुरुष निगाह डालने से पहले ही कई बार मन में सोचता , ना जाने कितने मर्दों की वह  बांह मरोड़ चुकी थी , झापड़ तो वह ऐसी मारती की जैसे वह प्यार से हाथ मिला रही हो  , शहर के अच्छे अच्छे हरामी उससे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते .....

इतना सब होने के बावजूद ,औरतो पर  होने वाले सेक्सुअल हमलों और  बेवजह की छेड़छाड़ से वह भी बेज़ार  थी ...ख़ैर खेर ब्रह्माजी ने प्रगट होकर कहा .....

देवी क्या कष्ट है ? और बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ ?

ब्रह्माजी को अपने सामने यूँ खड़ा देख,एक  बार को रागिनी सकपका गई , फिर उसके तेज , चालाक और धूर्त दिमाग में एक  विचार कोंधा और मुस्कराते  हुए ब्रह्मा से बोली .....

महाराज आपने , हम औरतो के साथ न्याय नहीं किया , हमें पुरुषो के मुकाबले इतना कमजोर बना दिया की ,आए दिन हम उनकी कामुकता और हवस का शिकार हो जाती है , पुरुष नाम का जंगली भेड़िया हम जैसी मासूम औरतो को बलात्कार के खंजर से आए दिन लहूलुहान करता है और आप ऊपर बैठकर सिर्फ हमारी बर्बादी का तमाशा देखते रहते है ...आपने यह कैसी दुनिया बना दी ?आप कुछ करते क्यों नहीं ?

ब्रह्मा बोले.... देवी , मैं आप लोगो की पीड़ा समझता हूँ पर मैंने  तो इस दुनिया का निर्माण जैसे किया था , वैसी तो अब दुनिया रही ही नहीं , मैंने  तो मनुष्य और पशु को एक  जैसा सा बना कर जंगल में छोड़ा था , किन्तु आप मनुष्य लोगों  ने उसमे अपनी मर्जी से छेड़छाड़ करके अपने आप में एक  समाज बना लिया ...

अब आपके समाज के जो भी नियम और कानून है , उसमे मेरा क्या दखल ? .....पशुओं  को देखो , उनमे कोई ना धर्म है , ना समाज , ना कायदा है ना कानून , फिर भी सब मज़े  में है , ना कोई पशु दूसरे पशु’ का बलत्कार करता है , ना कोई किसी के घर डकैती डालता  है ... एक मांसाहारी  जानवर भी सिर्फ भूख लगने पर शिकार करता है और मनुष्य तो ना जाने किस बात पर अपने ही लोगो का क़त्ल कर दे .... धर्म जाति, धन , अहंकार , लोभ , जमीन ..अनगिनत कारण है  । 

ब्रह्माजी की बात सुन रागिनी  निरुत्तर हो गई , उसके मुरझाते चेहरे को देख ब्रह्मा को उस पर   दया आ गई और ब्रह्मा ने फिर एक  गहरी सांस ली और बोले .....फिर भी मुझसे जो बन पड़ेगा , मैं आप लोगो की सहायता के लिए अवश्य करूँगा .... मैं भी आए दिन पृथ्वी लोक से आती औरतों  की चीख पुकारो से तंग आ चूका हूँ .... इस चक्कर में कई सालो से एक चैन की नींद भी नहीं सो पाया.... तुम्ही कुछ सुझाव दो की तुम्हारी समस्या का क्या हल है ?क्योंकि  आज के मनुष्य के समाज के कानून मेरी समझ से बाहर है ....क्योंकि पशुओं  में तो बलात्कार, छेड़छाड़ , विवाह और लिविंग आदि ऐसी समस्या नहीं है .....

रागिनी  ने एक  पल सोचा और फिर इधर उधर देखा , सारी औरते मंदिर में मूर्ति के आगे जोर जोर से आरती गाने में मग्न थी , लगता था ब्रह्मा सिर्फ उसे ही दिखाई दे रहे थे , उसके तेज दिमाग में तुरंत फुरंत में एक  अजीब सा ख्याल पैदा हुआ ...

रागिनी ने कहा महाराज .. हम औरतो की सबसे बड़ी समस्या गर्भवती होना या माँ बनना है ...बस हमें इस कर्तव्य से आजाद कर दो , आज के बाद कोई औरत माँ ना बने , बच्चा जो है वह पुरुष पैदा करे ....आप कुछ ऐसा कर दो की अब सिर्फ पुरुष ही गर्भवती हो ....देखना सारी समस्याएँ खत्म  हो जायेंगी ...

ब्रह्माजी ने जब रागिनी  की इच्छा सुनी तो उन्हें चक्कर आ गया ...बोले देवी !  यह कैसे सम्भव है ? इससे तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा ....रागिनी ने ब्रह्माजी की बात को काटते हुए कहा , महाराज इसमें कोई बड़ी बात नहीं , बस जिसे हम समाज में पुरुष यानी नर कहते है ...वह ही संतान पैदा करेगा , मनुष्य का विकास होने के लिए इन्सान तो फिर भी पैदा होगा ही , वैसे भी आपने कुछ जानवरों में नर को ही प्रजनन (माँ ) करने का  गुण दिया है , फिर परुषों में ऐसा होने से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा ?

ब्रह्मा बोले , देवी यह इतना आसन नहीं , पुरुष के शरीर में बच्चा बाहर  निकलने का मार्ग , गर्भाशय आदि है ही नहीं , फिर पुरुष सिर्फ वीर्य ही बहार निकालता है , पर गर्भ ग्रहण करने के लिए यह किर्या भी बदलनी पड़ेगी , पुरुष को वीर्य बाहर  निकालने की बजाय स्त्री योनी से , स्त्री के द्रव्य को सोख कर अपने अंदर लेना होगा ....मतलब , पहले गर्भाशय , फिर लिंग में बदलाव और बच्चे निकालने  का द्वार आदि आदि .....काफी ज्यादा बदलाव करने पड़ेंगे ....ब्रह्माजी अपना सर खुजाते हुए बोले ...

रागिनी झल्लाते हुए बोली , महाराज , अब इतनी बड़ी समस्या के निवारण के लिए छोटे मोटे मॉडिफिकेशन तो आपको करने पड़ेंगे ही ...बाकि बात बच्चे निकलने की तो पुरुषो के पास जो एक द्वार है उसे ही इस्तमाल में ले ले , हाँ सिर्फ इक गर्भाशय की समस्या है , तो परुषों  की एक  किडनी कम कर दे , वैसे भी इतने शक्तिशाली इन्सान को दो किडनी की क्या जरुरत ?

वह  तो हम जैसी कमजोर औरतो के लिए ही ठीक है ,की भाई, एक  ख़राब तो दूसरी से काम चला लो ....अब आपने परुषों को हम औरतो के मुकाबले इतनी ताकत दी है , कहीं कुछ तो कटौती  कर लो .....

रागिनी  की बात सुन ब्रह्माजी  का भेजा घूम गया , वे  बोले ..यह कैसे संभव ? इसपर  रागिनी झल्ला पड़ी और बोली ....अगर आप से इतना सा काम भी नहीं होता तो आप यह काम आप आउट सोर्स करके सन्यास ले ले .... आपको मैंने  सारे मॉडिफिकेशन समझा दिए और क्या चाहिए ?रागिनी के मुंह से आउट सोर्स की बात सुन ब्रह्माजी को अपनी नौकरी खतरे में दिखाई देने लगी , उन्होंने तुरंत फुरंत में रागिनी  की मांग मान कर  तथास्तु कह कर वहां  से खिसक लिए ....उन्हें मन ही मन अपनी नौकरी जाने का डर सताने लगा , ब्रह्माजी मन ही मन बुदबुदाये ....की यह सनकी औरत कहीं ऊपर के लेवल पर चली गई और आउटसौर्स का विकल्प हायर मैनेजमेंट को दे दिया ..तो इस उम्र में घर बैठना पड़ जायेगा ...

अब इतने सालों  से आराम की सरकारी नौकरी नौकरी करने वाले को इस उम्र में दूसरी जॉब मिलती भी तो कहाँ ? वैसे भी ब्रह्माजी के स्किल आउट ऑफ़ डेटेड हो चुके थे , जिनकी इस टेस्ट ट्यूब बेबी के ज़माने में कोई कद्र नहीं थी ?....

ब्रहामजी के जाते ही मंदिर में चलती आरती ख़त्म हो गई , रागिनी को ऐसा लगा जैसे उसने सपना देखा हो , थोड़ी देर पहले वह अपने मासिक धर्म की वजह से थोडा असहज महसूस कर रही थी ,अब उसे ना कोई थकावट और ना ही कमर में दर्द जैसा लग रहा था , उसे अब अचानक से अपना शरीर एकदम  से हल्का फुल्का सा लग रहा था ....उसने मन में सोचा क्या उसकी ब्रह्माजी से ऐसी कोई बात हुई या वह उसका सिर्फ वहम  था .....उसका हाथ अचानक से पेट के पास साडी के ऊपर घुमा तो , उसका मुंह  खुला का खुला रह गया , सुबह उसने पीरियड के लिए जो पैड लगाया था वह वहां  पर नहीं था ....

वह घबराहट में दौड़ी दौड़ी बाथरूम पहुंची ....वहां उसने  देखा की कई औरते बदहवाशी में इधर उधर टहल रही थी ...सबके चेहरे पर हवाइयां उडी हुई थी , उन्हें समझ ना आ रहा था , की पीरियड के लिए उन लोगो ने जो पैड सुबह बांधे थे , वे कहाँ  गिर गए और उनकी योनी से किसी भी तरह का रिसाव क्यों नहीं हो रहा और ना ही उन के कपड़ो पर खून के किसी धब्बे का कोई निशान क्यों नहीं है ?

उन औरतो की बाते सुन, रागिनी के चेहरे पर एक  कुटिल मुस्कान आ गई , उसे समझ आ गया , उसे ब्रह्माजी ने असल में ही दर्शन दिए थे और उसने, उनसे जो वरदान माँगा था , वह उन्होंने पूरा कर दिया था .....

मीका और टीका , उस इलाके के नामी बदमाश थे , ना जाने कितने बलात्कार  , छीना झपटी , छेड़छाड़ और चोरी के केस उनके नाम दर्ज़  थे ....आए दिन औरतों के  गले की चैन उडाना , उन्हें चुटकी काटना और मौका लगने पर उन्हें दबोचना उनका रोज़ाना का पेशा था ..... ना तो पुलिस और ना ही कानून उनका कुछ बिगाड़ सकता था .... क्योंकि औरतें और लड़कियां अपनी सामाजिक इज्जत की खातिर उनके जुल्म चुपचाप सहन कर लेती और जिन्होंने पुलिस स्टेशन जाने की हिम्मत दिखाई , उन्हें मुंह की खानी पड़ी , क्योकि पुलिस स्टेशन में भी भूखे भेडिये उन्हें नोचने और खसोटने के लिए तैयार थे...

वहां का थानेदार ही खुद रंगीन मिजाज का आदमी था । जो भी औरत  जुर्म की वजह से थाने  में आती वे  उसकी हवस की भेट चढ़ जाती ....ऐसे में शरीफ और घरेलू औरतें पुलिस स्टेशन का रूख़  ना करने में ही अपनी भलाई समझती और कामकाजी महिलाओं के पास  इतना वक़्त ही कहाँ होता  की पुलिस और वकीलों के फ़ालतू के लफड़े में पड अपना टाइम खोटा करती .......

अचानक मीका और टीका के पेट में दर्द उठने लगा , ऐसे लगा जैसे किसी ने पेट में जोर से लात मारी , जी भारी सा होने लगा और दोनों हांफते हुए सडक पर  खड़े होकर उबकाई करने लगे ..... अभी वे अपनी हालत से उबरे ही थे ...की सामने से रागिनी  आती दिखाई दी ..अपनी आदत से मजबूर दोनों ने उससे छेड़छाड़ शुरू कर दी , दोनों इस बात से अनजान थे की कुदरत ने उनके अंदर एक  अनोखा बदलाव कर दिया है .....जैसे ही रागिनी उनके पास आई , उन्होंने उसे चुटकी काट ली और उसकी तरफ देख कर ही ही करके हंसने  लगे ....
कोई और वक़्त होता तो रागिनी  उन्हें दो चार सुना देती ...पर आज तो उसे भी मस्ती चढ़ी थी ...उसने कहा बेटा सिर्फ चुटकी से काम ना चलेगा ..जरा किसी आरामदायक बिस्तर का इंतजाम कर , फिर मज़े लेते  है जवानी के । रागिनी  की यह बात सुन दोनों भौंचक्के   रह गए , उन्हें अपने कानों पर  विश्वास ना हुआ , की जो उन्होंने  सुना है वह सत्य है ...उनका मुंह खुला का खुला रह गया ,अभी वे  इस सदमे से बाहर  निकलते की रागिनी  बोली ..बेटा जाकर बाथरूम में अपने पीरियड का इंतजाम भी कर लेना और ऐसा कह वह वहां  से निकल गई ...

रागिनी  की बात सुन दोनों भौंचक्के  रह गए , की यह क्या बला बोल कर गई है ...पर अपने पीछे होती खुजली और अजीब से दर्द ने उन्हें बाथरूम में जाने को मजबूर कर दिया , जैसे ही दोनों ने बाथरूम जाकर अपना पेंट हटाया तो , उनके तोते उड़ गए ...दोनों के मुंह  से एक  साथ निकला , हे भगवान !  तूने यह क्या कर दिया ?

शायद आज उनका बुरा दिन ही था ...की दोनों का पेट अचानक से फूलने लगा और देखते ही देखते उसके अंदर 6 महीने के शिशु ने अपने कबड्डी खेलनी शुरू कर दी ....क्योंकि  जेल से 6 महीने पहले छुटने के बाद दोनों ने किसी देर रात काम से लौटती युवती पर अपनी मर्दानगी दिखाई थी ...जो उनके पेट में अब हिल्लोरे लेने लगी .....

दोनों अफरातफरी में भगते हुए डॉक्टर के पास पहुंचे ...जहां डॉक्टर खुद अपना ९ महीने का पेट संभाले , प्रसव पीड़ा से पीड़ित था ...मीका और टीका ने डॉक्टर को देखा और बोले ... .अरे डॉक्टर साहब आप भी ..क्या हम जैसा गलत काम करते थे , की आप को भी यह दंड मिला ?

डॉक्टर खीज़  में चिल्लाया ..अबे गधों  ...मैंने  तो आज सुबह अपनी बीवी को पहली डिलीवरी के लिए यहाँ  एडमिट करवाया था ....ना जाने क्या हुआ ..की वह तो मजे से बिस्तर पर उछल कूद कर रही है और यह स्यापा मेरे गले पड गया , पता नहीं ऊपर वाला कैसे कैसे खेल खेल रहा है ...जानना वार्ड दोपहर से मर्दाने वार्ड में बदल गया है .कई आदमी तो डिलीवरी के नाम से ही बेहोश हो गए ...जिनके पेट में लड़की थी ...अब उनका एबॉर्शन होगा तो उसमे उनके रोने धोने अलग मचे है ...सारे मर्द जाती पर  जैसे एक  अभिशाप लग गया है ...

पूरे हॉस्पिटल  में हाहाकार मचा था ...बड़े बड़े सुरमा अपना पहले से फुले हुए मोटे पेट में गुब्बारे फुलाए इधर उधर हांफ रहे थे और बार बार अपनी बीवियों से अपने किये हुए जुल्मो के लिए माफ़ी मांग रहे थे और उनके आगे गिड़गिड़ा  रहे थे ....की वह लोग भगवान से जाकर वापस अपना माँ बनने का हक़ ले ले ...

हर जगह टी वी चैनल पर  आदमी अपना चेहरा छुपाये बैठे थे और उनके साथ की महिला एंकर जोश और ख़ुशी में कुदरत के इस बदलाव की समीक्षा बड़े जोर शोर से कर रही थी ...पूरी दुनिया में जैसे हलचल सी मची हुई थीं .....

कुछ टीवी की महिला एंकर खाड़ी के शेखों  के हरम का जायज़ा  ले रही थी ....की एक  आदमी के कई औरते से सम्बन्ध होने की स्थिति में उसे एक  बार में कितने बच्चे पैदा होने के चांस है .... कुछ ख़ास कोम के लोगो में जैसे मातम मच गया था .... लगता था ऊपर वाले ने आज हूरो का पिटारा खुला छोड़ दिया था ...सब पर्दानशी आज खुले आम घूम रही थी और अपने खाविन्दों की हालत पर हंस रही थी ....

सबसे ज्यादा हालत ख़राब उन नौजवान लोगो की थी , जिन्होंने अपनी मस्ती में स्लीप एंड फॉरगेट वाला फार्मूला अपनाया था .....अब उनकी माचो जैसी बॉडी पर  सिक्स पैक की जगह सिक्स मंथ  की गर्भावस्था का बोर्ड टंगा था ....माचो मैन अब पैक से नहीं महीनों  से पहचाने जा रहे थे , वन मंथ मतलब वन पैक , आठवां महीना  मतलब आठ पैक .....

कहाँ  घर की सास बहु को  उलाहने देती की तू बेटा पैदा नहीं करती , अब बहु सास से पूछ रही थी , की घर में खुशियाँ कब आएँगी ?.....आतंकवादी जिन्होंने औरतों  को अपनी हवस के लिए कैद किया था , आज बन्दुक की जगह अपना पेट उठाये घूम रहे थे और हर घडी उस वक़्त को कोस रहे थे , जब उन्होंने ऐसा दुराचार करने का सोचा था ..अब किसी के हाथ में बन्दुक ना थी , सब अपने पेट को पकडे जमीन पर फड़फड़ा  रहे थे ....उन्हें देख औरतें  उन पर तंज कस रही थी ...आ मेरा बलत्कार कर..

उधर थाने  और जेल में महिला कैदी जैसे ख़ुशी के नगमे गा रही थी ...थानेदार , हवलदार और जेलर , अपनी मोटी तोंद में १० पौंड  का बच्चा लिए अपने कर्मों  को कोस रहे थे ...महिला कैदी अपने पहरेदारों  को लताड़ रही थी और उकसा रही थी ...आ पांडू तू मेरा बलात्कार  करेगा ...हा हा ?


द्वारा 
कपिल कुमार 


नोट:-- यह लेखक के अपने विचार है, जो सिर्फ मनोरंजन के लिए व्यक्त  किये गए है...इसमें किसी व्यक्ति या समुदाय की भावना को ठेस पहुंचने का इरादा नहीं है ...किसी जीवित या मृत से मिलती जुलती घटना के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है ...यह सिर्फ एक  हास्य व्यंग  है ...

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