राम नाम भी एक निराला नाम है ...की इन्सान दुखी हो तो ....हे राम ! ...कोई दर्द हो तो .. हाय राम !.... और दुआ देनी हो तो राम तेरा भला करे !...और अगर कोई स्वर्ग सिधारे तो ...राम नाम सत्य ! ...कहने का मतलब यह ..की गलती किसी की भी हो बेचारे राम जी बेकार में घसीट लिए जाते है ...
अब आज की जनता को ही देखो ..दिन दहाड़े कलयुग में अपने नेताओं से रामराज्य की कल्पना करती है ...की उन्हें आज के प्रजातंत्र में रामराज्य जैसी सुविधा मिले ...यह बात अलग है की उन्हें रामराज्य की जनता जैसा बर्ताव भले ही ना आता हो ...इस देश की जनता के दुखों को देख ...उनकी करुण -गाथाओं को सुन सुनकर परेशान हो चुके बेचारे राम जी ने इस बार उनकी यह दुआ पूरी कर दी.....और देश में रामराज्य आ गया ...
स्टेज से पर्दा हटता है ...एक सोसाइटी की बिल्डिंग में रहने वाले कुछ माध्यम परिवार के लोग सन्डे के दिन देश , समाज , सिस्टम और अपने नेताओं को कोस कोस कर ..गाली दे कर अपना टाइम पास कर रहे है ....
कल्पतरु सोसाइटी की बिल्डिंग के सामने बने हरे हरे घास के लॉन में ...शर्माजी , निगम जी , गुप्ताजी और सिंह साहब बैठे गप्पे हांक रहे है ....शर्माजी एक सरकारी विभाग में तो निगम जी बैंक में बाबू है ....गुप्ताजी सोसिएटी की बिल्डिंग के पास इक छोटी सी दुकान चलाते है और सिंह साहब कॉलेज में प्रोफेसर है .....
नौकरी वालो बाबुओं को प्रमोशन ना मिलने का दुःख है उन्हें यह बात सालती है की उनको अभी तक ऊपरी कमाई का मौका ना मिला ..इसलिए उन्हें भ्रष्टाचार करने वालो से सख्त चिढ़ है ....गुप्ता जी को बड़े बड़े माल के खुलने से होने वाले कम्पटीशन से तो ....सिंह साहब को सिस्टम से कोई ना कोई शिकायत है .....
यह सब लोग अपनी नाकामियों और समस्याओं का ठीकरा ..देश के नेताओं , अफसरों , सिस्टम और युवा पीढ़ी पर डाल उन्हें कोस रहे है ...की इस बार इलेक्शन में मौजूदा सरकार को हटा कर नयी सरकार लानी चाहिए ..ताकि देश में रामराज्य आए ....
इन सब की यह मनोकामना भी पूरी होती है ... की मौजूदा सरकार इलेक्शन में हार जाती है और नयी सरकार आने के बाद देश में रामराज्य आ जाता है ....सब खुश है ..की अब दिन फिर गए ....अब देश तरक्की करेगा ....हर वक़्त बिजली , पानी आने लगा ...देखते ही देखते देश से भ्रष्टाचार ख़त्म होने लगा और सिस्टम अपना काम तेजी से करने लगा ....
एक दिन ...सिंह साहब बड़े ख़ुशी में चहकते हुए घर आए और अपनी बीवी से बोले ........ अजी सुनती हो मुझे डिपार्टमेंट हेड बना दिया गया है ...मेरी इतने दिनों की तरक्की रुकी थी आज मुझे मिल गई ...बस नयी सरकार आने से सारी चीजे ठीक होने लगी है ...मैं जरा शर्माजी और निगम जी को भी खुशखबरी सुना दूँ :....
उधर शर्माजी बहुत सालों से इस जुगत में थे की कैसे उन्हें भी मलाई वाली जगह मिले की उन्हें भी ऊपर की आमदनी का प्रसाद खाने को मिले ..सब बाबू ऊपर की कमाई खा खा कर मोटे हो गए थे और अपनी अपनी गाड़ी से ऑफिस आते थे ..बेचारे शर्माजी अभी तक बसों में धक्के खा रहे थे ....उधर गुप्ताजी भी खुश थे की अब कोई एक्साइज वाला या सेल टेक्स वाला उन्हें परेशान नहीं करेगा .....निगम जी भी प्रमोशन पाकर बड़े बाबू का दर्जा पा गए थे .....सब अपनी खुशी नीचे वाले लॉन में मिलकर आपस में बाँट रहे थे और आने वाले दिनों में कोई मोटी कमाई खाने और तो कोई हरामखोरी करने के सपने बुन रहा था ...
शर्माजी (सरकारी बाबू) :... दोस्तों अब जाकर दिल को चैन मिला है ....अब मुझे भी अच्छी जगह मिली है जहां चार लोग मुझे पूछेंगें ..इज्जत करेंगे ..अब तक तो ऑफिस में इज्जत ही नहीं थी ...जिसे देखो मेरी टेबल पर फाइल ही ना लाता... दुसरे सारे बाबू फाइल दबा दबा कर इतने ऊपर उठ गए ..अब मेरी बारी है ...
निगम (बैंक बाबू ) :.... हँसते हुए ....सही कहा शर्माजी ...अब बस दिन फिरने ही वाले है ..मुझे भी प्रमोशन मिल गया है और मेरे हाथ में लोन पास करने की पॉवर आ गई है बहुत दिन सूखे सूखे गुजार लिए ....इन साले नेताओ ने देश को खोखला करके रख दिया ...हम जैसे गरीब आदमी को सिर्फ सुखी तनखा ....वह भी इस महंगाई के ज़माने में .....बहुत मुश्किल से गुजरा चल रहा था ....
सिंह (प्रोफेसर ) : ...मुबारक हो जी ...बहुत बहुत मुबारक ...अब तो मैं भी डिपार्टमेंट हेड हो गया... कहाँ पहले जल्दी जल्दी उठ के जाओ लेक्चर लो ..अब कुछ नहीं करना बस जब दिल आया जाऊँगा और बाकी डिपार्टमेंट का बजट भी मेरे हाथ में है तो कुछ इधर उधर का भी मिलेगा ...अब दिन फिरे है जाकर ..वर्ना तो इस सिस्टम से हमें तो कोई उम्मीद ना थी ...
गुप्ताजी (लाला ) :.... बिलकुल सही कहा आपने ...मेरा भी इन सेल टेक्स और एक्साइज वालो से सालों का पीछा छूटा , जिसे देखो हर दुसरे तीसरे दिन मुँह उठाये चला आता और 1000/500 की पत्ती ठंडी कर जाता ...अब दुकान में सारा चाइना का माल भरूँगा ....
अगले दिन रोज की भांति चारो अपने अपने काम धंधे पर निकल गए ..रामराज्य आ चूका था तो कहीं भी ना तो हल्ला गुल्ला था ... बस और ट्रेन सब टाइम पर चल रही थी ..... पर अपनी आदत से मजबूर तीनों कर्मचारी अपने अपने घरों से देर से निकले .....शर्माजी को आदत थी की जो भी ट्रेन मिलती उसमे चढ़ जाते ..आज देर से आने की वजह से उनकी ट्रेन टाइम पर चली गई ....उन्हें बहुत गुस्सा आया की अगली ट्रेन के लिए आधा घंटा इंतजार करना पड़ा ... रोते कल्पते ट्रेन वालो को गाली देते अगली ट्रेन पकड शर्माजी ऑफिस पहुंचे ....की ....
टेबल पर बड़े बाबू का नोट पाया ..की आते ही शीध्र मिले ..
शर्माजी हड़बड़ाते हुए बड़े बाबू के कमरे में घुसे ....
शर्मा का बॉस :........अरे शर्माजी ! ..यह क्या ..आप इतनी देर से आए ....आधे दिन की अपनी छुट्टी की अर्जी दे दे और आगे से ख्याल रहे ..की समय पर ऑफिस आए ...आप के लिए कई लोग फाइल पास करवाने के लिए लाइन में खड़े है ..मुझे सारी फाइल की रिपोर्ट आज जाने से पहले दे ...की आपने आज कितने केस निपटाए ....अब आप जा सकते है ....
बड़े बाबू की बात सुन शर्माजी का दिमाग घूम गया .... कहाँ रोज दिन भरे गप्पे मारना ..फाइल को बस घूरना और पान बीडी में दिन गुजरता और आज यह बड़ा बाबू न जाने कौन सी उल्टी भाषा बोल रहा था ..उन्होंने सोचा इसकी कौन परवाहा करे और निकल गए ..बाहर अपना गुटका चबाने ....
..........
उधर सिंह साहब डिपार्टमेंट हेड बनने की ख़ुशी मना ही रहे थे ....की कॉलेज डीन का नोट ऑफिस में पहले दिन ही मिल गया की आकर मिले ....
सिंह का बॉस(कॉलेज डीन ) :....आपकी इतने सालों की सर्विस को ध्यान में रख हमने आपको डिपार्टमेंट हेड बनाया है ..आपसे उम्मीद है की ...आप अपने विभाग का सारा पाठ्यक्रम का मूल्यांकन करें और देखे उसमे कहाँ कहाँ सुधार की गुंजाईश है ...और अपने अधीनस्थ अध्यापकों को भी मोटिवेट करें की वह अपनी नॉलेज को समय समय पर अपग्रेड करे .....आप जल्दी ही सबसे मिलकर मुझे अपनी रिपोर्ट दे ...की ..हर साल कितने विधार्थी ....फ़ैल होते है और उनकी कमजोरी को आप कैसे दूर करेगे ..की हमारा रिजल्ट सत प्रतिशत आए .....अगर कोई विधार्थी इस कॉलेज में आगे किसी विषय में फ़ैल होगा ..इसे हम उस विभाग की कमजोरी और लापरवाही मानेगे ...अगर आप को विधार्थी के घर जाकर उसे पढाना पड़े ..तो भी आप और आपका स्टाफ यह करे..मुझे आपकी रिपोर्ट एक हफ्ते में चाहिए और जो भी आपके विभाग का बजट है ..उसकी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं ..आज से सब चीजे ...वित्तीय विभाग से सीधे आयेंगी.....
सिंह साहब जो कल तक प्रमोशन मिलने की वजह से शेर बने थे ..की डीन की बात सुन उनका भेजा घूम गया ...अपना मुंह लटकाए अभी वह कुछ बोलने ही वाले थे ..की डीन ने उनकी क्लास का टाइम टेबल और पकड़ा दिया ..जिसमें हर दिन कम से कम ३ रेगुलर और ३ इवनिंग क्लास लेना अनिवार्य था ..आज से पहले सिंह साहब हफ्ते में २ या ३ से ज्यादा लेक्चर ना लेते ,अब ६ लेक्चर और उसपे डिपार्टमेंट हेड का काम अलग ..बड़ा स्यापा था ...
ऐसी ही कुछ हालत निगम जी की थी ..काम तो दुगना और तनखा वही और ऊपरी कमाई का नाम भर लेने से जेल जाने का डर..यह क्या विपदा आन पड़ी थी ..सब अपना अपना सर पकडे ऑफिस में गुमसुम बैठे थे ..की गुप्ताजी ने अपनी बड़े चहकते हुए दुकान खोली ....
फ़ूड इंस्पेक्टर ..... लालाजी से :....(बनावटी आवाज में ) अरे लालाजी नमस्कार ! ..सुबह से आपका ही इंतजार कर रहा था ..कब से रामराज्य आ गया है ..आपको तो पता ही होगा ....
लालाजी :.... हँसते हुए .. हाँ यह तो बहुत अच्छा हुआ ..वरना रोज कोई ना कोई सेल टैक्स या एक्साइज वाला दुकान पर परेशान करने चला आता था ....आप कैसे आए ?
फ़ूड इंस्पेक्टर :....हँसते हुए ..अजी वह क्या है ..की आजकल हम सब दुकानों पर जाकर हर प्रोडक्ट को चेक कर रहे है ...की वह अच्छी क्वालिटी का हो ..एक्स्पिरेड ना हो ..हमने काफी सारी पुरानी कम्पनी ब्लैक लिस्ट की है ..तो उनका सामान ...हमें तुरंत नष्ट करने का आदेश मिला है ..ऐसा न करने पर ..जेल की सजा है ..इसलिए मैं आपकी दुकान पर कल से इन्तजार कर रहा हूँ ..कल तो आप आए नहीं ..पहले दुकान की जांच होगी ....उसके बाद ही आप कोई सामान बेच पायंगे ...
उसकी बाते सुन लालाजी का दिमाग घूम गया ..उनकी दुकान में आधे से ज्यादा सामान पुराना और घटिया क्वालिटी का था ...अब बोले तो क्या बोले ....
लालाजी :.... हँसते हुए:... अरे मैं बोलू हूँ ....आप काहे इस चक्कर में पड़ते हो ? अब माल जैसा भी है उसे फैंक तो नहीं सकते ...आप अपना चाय नाश्ता ले लो और हमें काम करने दो ..
फ़ूड इंस्पेक्टर :.... लालाजी को घूरते हुए लालाजी..रिश्वत देने की .... सरकार कि तरफ से पहली गलती माफ़ है ..इसलिए आपको सिर्फ वार्निंग दे रहा हूँ ..की आगे से ऐसी बेहूदा बात ना करें ..आपको पता है रामराज्य में रिश्वत लेना और देना दोनों ही घ्रणित कार्य है ..इसपर आपको फांसी की सजा भी हो सकती है ...बस दूसरी बार ऐसा किसी से ना बोले ....मुझे अपना काम करने दे और ऐसा कह फ़ूड इंस्पेक्टर अपना काम करने लगा ...उसने अपने साथ लाये स्टाफ को कुछ निर्देश दिया
.....................
देखते ही देखते लालाजी की दुकान का आधे से ज्यादा सामान सडक पर आ गया ...फ़ूड इंस्पेक्टर अपने कारिंदों को बोला ..की सारे सामान में आग लगा दे ....इसे देख लालाजी का मुंह कलेजे को आने लगा ....वह बड़े कातर स्वर में फ़ूड इंस्पेक्टर के आगे गिड़गिड़ाने लगे ...
लालाजी :....:.. माई बाप ..रहम करो ..मैं तो बर्बाद हो जायूँगा ...अब मैंने तो वही माल ख़रीदा जो मुझे बाजार में मिला ...इसमें मेरा क्या दोष ? मैं तो कहीं का ना रहूँगा ....
फ़ूड इंस्पेक्टर :....(गंभीर आवाज में ) लालाजी आपके थोड़े से घाटे के लिए हम हजारो लोगो की जान जोखिम में नहीं डाल सकते ...आपने जितने का माल ख़रीदा था ..उसके पेपर हमारे विभाग में ले आए और अपना पैसा हाथ की हाथ ले ले .....यह रामराज्य है ..इसमें किसी का कोई भी नुकसान नहीं होगा और ना ही कोई अपनी ताकत का नाजायज़ इस्तमाल करेगा ....आप जो भी सामान बेचे उसे सही माप तौल , क्वालिटी और ख़राब होने की तिथि जांचने के उपरांत ही बेचे ..अगर कोई शिकायत आई तो ..आपको जुर्माने के साथ जेल भी हो सकती है ...
अब लालाजी की हालत सांप छुछुंदर वाली ....आजतक लालाजी सब माल कच्ची रसीदों पर खरीदते आए थे ...की जिसमे अपने हिसाब से हेर फेर करके एक्साइज और सेल टैक्स बचा सके ... उनके पास पक्की रसीद तो आधे माल की भी ना थी ....लालाजी मन ही मन उस दिन को कोसने लगे ..जिस दिन उन्होंने रामराज्य का सपना देखा था ...अब पक्की रसीद पर माल खरीदना ...फिर क्वालिटी और सही माप तौल से बेचने में फायदा ही क्या रहेगा ?...इसमें तो दो वक़्त की रोटी ही बन पाएगी ..गाडी ,बंगला , जमीन जायदाद कैसे और कहाँ से बनेगा ??
उधर चारों पड़ोसी अपने ऑफिस , दुकान और काम पर परेशान थे .... उधर उनकी बीवियां घर में शान से एयर कंडीशन की ठंडी हवा का आनंद ले रही थी ....अब ना तो बिजली जाने की चिंता थी ना ही पानी की ..सब २४ घंटे अपने समय पे आ रहा था ...की सिंह साहब की बीवी (जो मास्टरनी के नाम से मशहूर थी ) दौड़ी दौड़ी अपनी पड़ोसन गुप्ताजी के घर पहुंची .....
मास्टरनी (सिंह) :.....(गुप्ताजी की बीवी लालायन से ) अरे बहनजी सुनती हो ..गजब हो गया ..आज अभी बिजली का बहुत बड़ा बिल आया है ..बिजली वाला कह रहा था ...की आपने मीटर में हेराफेरी कर रखी थी ...नया मीटर लगवाओ और पुराने दो महीने का पूरा बिल दो और जुर्माना भी ...अब आप ही बताये कैसे करें ..हमारे घर में तो दो एयर कंडीशन है ..अगर मीटर से बिल देने लगे तो इनकी सारी तनखा इसमें ही चली जायेगी ..अब एक प्रोफेसर को कितना मिलता है और यह तो गर्मियों में घर में ही रहते है ..बिना ए सी के सिंह साहब और मेरे बच्चे तो एक पल भी ना रह पायेंगे ...हाय राम ....अब हमारा क्या होगा ?
लालायन :.... (मन ही मन बोली अच्छा हुआ ..जब देखो मास्टरजी दिन भर घर में खाट तोड़ते थे ..अब समझ आएगा ..की मेहनत से पैसा कैसे कमाते है ?)... पर ऊपर से बोली हाँ जी बहन जी यह तो बहुत बुरा हुआ ...अब क्या करोगी ? ..आपने लाइन मैन से बात नहीं की ..जो हर महीने आपका मीटर उल्टा घुमा कर कम रीडिंग कर देता था .....
मास्टरनी (सिंह) :....(चिढ़ते हुए )..अजी की थी ..वोह मुआ भी अपना मुंह बना गया और बोला रामराज्य है ..रिश्वत और गलत काम की बात भी अपराध है .....अगली बार गलत रीडिंग पर महीने भर के लिए बिजली काट दी जायेगी ..और तीसरी गलती पर हमेशा हमेशा के लिए ...कर लो बात ..भलाई का जमना नहीं है ...उत्ते को बोली आधे पैसे तू रख ले ..पर मन ही नहीं पुरे दस हजार का बिल थमा गया ....हे राम ....
लालायन :.... (मन ही मन बहुत खुश हुई...की अच्छा हुआ वर्ना इन लोगो की वजह से बिजली में कटौती होती थी) ...... कटाक्ष करते हुए बोली ....बहनजी बस अब आप तो कम में गुजरा करने की आदत डाल लो ..एयर कंडीशन का बिल आप ना भर पाओगी .....
अभी दोनी बाते कर ही रही थी ...की लालायन के घर की बेल बजी ...तो सामने बैंक बाबु निगम की बीवी खड़ी थी ..जिसे सब लोग सबसे समझदार और ईमानदार समझते थे और उसे बैंक वाली बोलते थे ....
बैंक वाली (निगम ) :.. अजी बहन जी गजब हो गया ....आज बहार कूड़ा फैकने गई तो मुझे ..सफाई वाले ने डांट दिया ...बोला आप लोग सफाई खुद नहीं रखते और बदनाम हमें करते है ..अब आप ही बताओ ..सब्जी के छिलके बाहर न फैंके तो कहाँ फैंके ? मुआ कह रहा था ..की जिस जिस घर के बाहर कूड़ा मिलेगा ..उसके घर सफाई का बिल ..जुर्माने के साथ भेज दिया जाएगा ...बताओ यह कौन सी नयी विपदा आन पड़ी ..हाय राम ?.....
अब लालायंन और मास्टरनी की हालत भी ख़राब थी दोनों ने सुबह सुबह अपने घर का कूड़ा बहार बेधडक होकर फैंका था .....अभी तीनो इस विषय पर बात कर ही रही थी ...की ..सरकारी बाबू शर्माजी की बीवी शर्मानी का घर में प्रवेश हुआ .....
शर्मानी :.....(उन तीनो से ).. अरे आप लोग यंहा बैठी बैठी गप्पे हांक रही है और वंहा कामवालियो का पंजीकरण चल रहा है ...की कौन कामवाली बाई किसके घर कितने समय काम करेगी और उसे मालिक कितने पैसे और क्या क्या सुविधाए देगा और सुना है पानी वाले सब घरो के मीटर और पाइप चेक कर रहे है ...जिस घर में भी मीटर नहीं है वहां मीटर लगेगा और जिसके घर से पानी का पाइप लीक करता हुआ मिलेगा उसपे जुर्माना भी लगेगा और यही नहीं पानी की खपत पर भी ध्यान दिया जाएगा ताकि हर घर को बराबर का पानी मिल सके ..लालायन को देखकर बोली ...अरे बहनजी आपका घर तो नीचे है ..मुसीबत तो हम ऊपर वालो की है ..जिनके घर पानी चढ़ता ही नहीं ...
लालायन :....(शर्मानी से नाराज होकर )....आप भी कैसी बात करती है ..अब आपका घर ऊपर है तो इसमें हमारा क्या दोष ?...अब मीटर से पानी तो भरना तो बड़ा भारी पड़ेगा ..हमारे घर में तो ३ कूलर चलते है .....और हमारे बच्चो को तो दिन में दो दो बार नहाने की आदत है ..... आप अपनी देखिये ..जो शर्माजी गाँव से नौकर लेकर आये है उसे कैसे रजिस्टर्ड करवायंगे ?..हमें सब मालुम है आप उसे क्या देते है और कितना खिलाते है ?......
लालायन का इतना कहना था सब एक दूसरे की पोल खोलने पर उतारू हो गई ...की कौन किस काम में कितनी चोरी करता है ....काफी देर लड़ झगड़ने के बाद सब आपने अपने घर चली गई ....
शाम को सबके मर्द घर आए और अपने अपने दुखड़े रोने लगे की ..रामराज्य की वजह से क्या क्या कष्ट आने लगे है .....
दो हफ्ते बाद ...चारो दोस्त फिर से मिले .......
सिंह (प्रोफेसर ) ::.....(आहें भरते हुए)... ..दोस्तों पहले क्या दिन थे ...कॉलेज जाओ पढाओ या ना पढाओ ..बस मुफ्त की तनखा ले आओ कोई स्यापा ना था ...साला डिपार्टमेंट हेड बनके काम दस गुना हो गया ..तनखा थोड़ी सी बढ़ी ....और इस रामराज्य की वजह से हर स्टूडेंट पे पूरा पूरा ध्यान दो ..पहले हमने जैसे चाहे पढ़ा दिया किसी की समझ में आया तो ठीक ना आया तो भी ठीक था ...अब तो सालों के साथ इतनी मगज मारी करनी पड़ती है ...की पूरा दिन कॉलेज में ही बीत जाता है ...हाय राम कैसा रामराज्य है ?
शर्माजी (सरकारी बाबू) :...:....ठंडी सांस लेते हुए ...अजी सिंह साहब आप तो फिर भी शाम को चैन से घर आ जाते है ...यहां तो इतने साल रगड़ रगड़ कर अच्छी पोस्ट पाई ..सोचा था की ..कुछ घर में चार पैसे आयेंगे और आई मुसीबत ..साला टाइम पर दफ्तर पहुंचना ही सबसे बड़ा काम है ..पहले तो जब जागे तब सवेरा था ...अब तो पान , बीडी गुटका सब बंद ....ऑफिस टाइम में बस काम ...दिन में सिर्फ दो चाय ..अरे आदमी है ..की मशीन ..यह कैसा रामराज्य आया रे .....राम थोड़ी सी कृपा करें ...हमें इस रामराज्य से बचाएं ....
निगम (बैंक बाबू ) :....:....(रूवांसी आवाज में )..अरे आप लोग काम की बात करते है ..यहां तो लक्ष्मी रोज हाथ से फिसलती है .....बस दिन भर नोट गिन गिन लोगों को दिए जाओ ..खुद महीने का इन्तजार करो ...इससे अच्छा तो पहले था ....२ बजे के बाद आराम ही आराम था ..अब दिन भर बस काम ही काम .....साली पीठ अभी से टेढ़ी होने लगी है .....राम भला करे ..
लालाजी :....:..अरे आप लोग तो नौकरी पेशा हो ..मुफ्त की तनखा ले आते हो ..आजकल तो धंधा करना ही गुनाह है ....थोड़ी हेरा फेरी हुई नहीं ..बस जेल में डाल देते है ...पहले तो सारे काम ले दे कर हो जाते थे ...अब तो बस बोलने पे भी सजा है ...ईमानदारी से तो रोटी भी मुश्किल मिलेगी ....हाय राम हमें तो इस रामराज्य ने बर्बाद कर डाला .....
चारों ने जोर की हुंकार भरी ...अगली सरकर कोई भी आए ...पर रामराज्य कभी ना आए .....
By
Kapil Kumar
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