Tuesday, 2 February 2016

सबसे सुन्दर !



Is beauty in the eye of the beholder? 

एक   बार की बात है , महाराजा बौधिसत्व  और मंत्री कपिल , एक   सुन्दर उपवन में टहल रहे थे । वहाँ  पर तरह तरह के सुन्दर फूल , पेड़ , पौधे थे ।

उनपर तरह तरह की सुन्दर तितलियां और पंछी  बैठे थे , बड़ा ही सुन्दर दृश्य  था ।

कपिल बोला ,राजन कितना मनमोहक दृश्य है , क्या इससे भी सुन्दर कुछ हो सकता है ?

महाराज ने मंत्री कपिल से पुछा,  क्या पांच महीने बाद शरद ऋतू (ठंड ) में यही दृश्य  मनोरम होगा ?

मंत्री कपिल ने कहा,  महाराज यह तो बड़ा जटिल प्रशन है ।

राजन ,सुन्दरता देखने वालो की आँख में है न की किसी वस्तु , प्राणी या इन्सान में ।     मंत्री कपिल ने कहा  ! 

बौधिसत्व मन मन मुस्कराए - और बोले ,    मंत्रीवर सुन्दरता देखने वालो के  मन  में है न की देखने वालों की आँखों  में |

 हमें सच्ची  सुन्दरता की खोज करनी ही पड़ेगी  !

 मंत्री कपिल बोला ,महाराज सुन्दरता तो सुन्दरता है उसमे कैसे विरोध !

राजन बौधिसत्व मुस्कराए - और  बोले , आज शाम को आप वेश बदल कर हमारे साथ राज्य के दौरे पर चलेंगे और वहीँ  इस का फैसला होगा की सुन्दरता क्या है ?   जो आज्ञा कह, मंत्री ने महाराज से विदा ली ।

और शाम को सही वक़्त मंत्री कपिल अपना वेश बदल महाराज की सेवा में उपस्थित हो गया ।महाराज बौधिसत्व और मंत्री कपिल वेश बदल राज्य के दौरे पर निकल पड़े ।

रास्ते मे- उन्होंने देखा एक  सुन्दर युवक और रूपवती युवती किसी सुन्दर फूलो की वाटिका में प्रेम मग्न बैठे है !

और युवक, युवती की सुन्दरता में गीत गा रहा है , मंत्री बोला,

 महाराज  कितना सुन्दर दृश्य है , लगता है जैसे स्वर्गलोक में कामदेव और अप्सरा विहार कर रहे है !

बौधिसत्व मंद मुस्कराए - और बोले क्या या घटना तुम 10 साल बाद ऐसे ही देख सकते हो ।

इस पर मंत्री कपिल चुप हो गया और कुछ न बोला ।                         

 थोड़ी दूर आगे जाने पर उन्हें एक   आदमी दिखाई दिया , जो अपने हाथो से शिल्प कला का बेजोड़  नमूना बना रहा था । वह  बार बार उसे छूता  और फिर कुछ मन में गुनगुनाता और फिर वापस अपनी हथौड़ी  लेकर मूर्ति को नया आकार देने  में जुट जाता । ।उसकी बनायीं  हुई मूर्तियाँ ऐसे प्रतीत होती थी जैसे बोल पड़ेंगी । 

    मंत्री बोला! महारज कितना सुन्दर दृश्य  है , कितनी सजीव मूर्तियाँ है इतना मोहक दृश्य मैंने  आज तक नहीं देखा ! राजन बौधिसत्व मंद मुस्कराए - और बोले मंत्रीवर, क्या यह मुर्तिया 50 साल बाद भी ऐसी ही सुन्दर रहेंगी ? और ऐसा कह उन्होंने एक  गहरी मुस्कान से मंत्री की और देखा , मंत्री कपिल ने थोड़ी देर सोचा और फिर महारज की तरफ अर्थ भरी नजर देख चुप हो गया । 

 मंत्री कपिल और महाराजा ने अनेक सुन्दर उपवन , सुन्दर नर नारी , सुन्दर घर और अनके सुन्दर पंछी देखे ! पर उनके मन को चैन न मिले , न जाने दोनों क्या देख रहे थे या ढूंड रहे थे । 

की अचानक एक  बहुत ही सुन्दर युवती  चिल्लाती हुई दिखलाई पड़ी ,

 हे मेरे सुन्दर राजकुमार, तुम   कहाँ   हो ?

 हे मेरे चाँद , तुम  कहाँ   हो ?

हे मेरे दिल के शाहजादे , तुम-   कहाँ हो- ? 

राजन और मंत्री ने यह सुना तो उन्हें लगा ,

इतनी रूपवती युवती जिसे बुला रही है और जिसका इतना गुणगान कर रही वह  वाकई में सबसे सुन्दर् है !

दोनों उस युवती  के नजदीक गए और बोले,    देवी ,

तुम किसे बुला रही हो , क्या तुम्हारा प्रेमी है या पति है, जिसकी सुन्दरता का तुम इतना गुण गान कर रही हो । 

 उस युवती ने मंत्री और राजन की तरफ हिकारत भरी नजर से देखा और बोली !तुम उसकी सुन्दरता के बारे में क्या जानो , वह  तो मेरी जान से भी ज्यादा कीमती और दुनिया में सबसे सुन्दर है । 

तभी दोनों ने देखा एक  गन्दा सा, मैले कुचैले  कपड़ो में लिपटा एक  बहुत ही घिनौना और कुरूप बच्चा वहाँ  आया ।

जिसे देख दोनों एक  पल के लिए सतब्ध रह  गए ।

 रूपवती दौड़ के आई और उस बच्चे को गले लगा कर उसे प्यार जताने लगी , जिस बच्चे को देख दोनों का मन विताष्णा से भर गया था ।उस बच्चे को वह  औरत बिना अपने शारीर और कपड़ो का ख्याल किये लिपट लिपट उसे प्यार और दुलार कर रही थी । 

राजन बौधिसत्व और मंत्री कपिल ने  एक  दुसरे को प्रश्नवाचक  - निगाहों से देखा ?

मंत्री कपिल ने उस औरत से पूछा ,हे देवी यह कौन है ?  

जिससे  तुम इतना प्यार और दुलार कर रही हो ।

उस युवती ने राजन और मंत्री की तरफ घृणा से देखते हुए कहा !

 यह तो मेरी जिन्दगी है , यही मेरा सब कुछ है , इसके लिए तो मेने कामदेव जैसे अपने पति को भी ठुकरा दिया ,   यह है तो सब कुछ,     नहीं तो कुछ भी नहीं । 

उस औरत की बात सुन बोधिसत्व ,मंत्री कपिल को देख मुस्कुराये- और बोले.........

मन्त्रिवर  क्या आप सुन्दरता का अर्थ  समझ गए ?

महल लोटते वक़्त राजन ने मंत्री कपिल से पुछा , मन्त्रिवर,   क्या सुन्दरता का अर्थ आपके समझ आया ?

और इनमे कौन सबसे सुन्दर था ? 

मंत्री कपिल बोला आज सही अर्थो में  में मुझे सच्ची सुन्दरता का अर्थ समझ आया ।

जो उपवन/बाग - बगीचा आज सुन्दर है वह  सिर्फ कुछ वक़्त के लिए है !

वह  आज सुन्दर हैं तो हमें उन्हें चाहते है , पर कल पतझड़ आएगा तो यह सुन्दरता भी चली जाएगी ।

युवक युवती की प्रसंशा में गीत तब तक गा रहा है जब तक उस युवती का यौवन  है !

जब उसकी सुन्दरता , बुढ़ापे की कुरूपता में  ढक जायेगी!

 तो यह युवक सुन्दरता के गीत गाना बंद कर देगा ।

यह दोनो  सुंदरता  सिर्फ आँखों से दिखती है जो की सिर्फ एक  मायाजाल और भ्रम है |

और शिल्पी के बारे में आपका क्या ख्याल है मन्त्रिवर ,राजा बौधिसत्व ने पुछा !                                      

राजन शिल्पी की सुन्दरता उसकी शिल्प कला में है , वह जिस मूर्ति को बनता है तब तक उसे जी जान से चाहता है पर मूर्ति बन जाने के बाद शिल्पी को उस मूर्ति में कोई सुन्दरता नजर नहीं आती ! शिल्पी मन से सुन्दरता अनुभव करता है पर वो स्थिर नहीं है ! और वह  अपनी सुन्दरता का अर्थ बदल दूसरी मूर्ति बनाने में जुट जाता है और यह सोच के दूसरी मूर्ति बनाता है! अगली मूर्ति,  पहले वाली से श्रेष्ठ और सुन्दर होगी ।

  असली सुन्दरता का अर्थ सिर्फ वह  औरत जानती है , जिसके लिए उसका बच्चा  हर हालत में सबसे सुन्दर है , चाहे वह  गन्दा है या साफ़ सुथरा , पर मां की निगाहों  में उसकी सुन्दरता हमेशा एक  सी रहेगी। कल को यह बच्चा बड़ा- होकर नवयुवक बनेगा , फिर अधेड़ और फिर बुड्ढा होगा  , पर मां की आँखों में उसकी सुन्दरता जैसी आज है वैसी ही रहेगी !यह सुन्दरता स्थिर है और मन से है ! 

    मंत्री कपिल की बात सुन राजा बौधिसत्व प्रसन्न  हुए और बोले मन्त्रिवर , आपने सही कहा !हम इस जग में सुन्दरता को उसके रूप से देखते है , जबकि सुन्दरता देखने वाले के मन में होती है । बाह्य सुन्दरता वक़्त के साथ ख़त्म हो जाती है पर मन की सुन्दरता हमेशा जीवित रहती है !


Beauty is in the heart of the beholder. (H.G.Wells )

By
Kapil Kumar 


Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' ”

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