Monday 30 May 2016

मैं भी बच्चा बन जाऊँ ....


आज मुझे तू अपने आंचल में यूँ छुपा  ले , कुछ पल के लिए मैं भी बच्चा बन जाऊं 
यूँ तो मैंने  भोगा है यह जवां शरीर , शायद फिर भी इसके कुछ राज़  समझ पाऊं 
आज तेरी गोद में सर रख कर , मैं दुनिया के सारे गम भूल जाऊँ 
कुछ पल के लिए मैं भी बच्चा बन जाऊँ ....


अपनी आँखों को मैं कर लूँ बंद , एक  मीठी सी नींद में खो जाऊँ 
तू फेरे हाथ ममता का चेहरे पर,ऐसी भावना से मैं भर जाऊँ 
तेरे होंठ  जब छुए मेरे माथे को , प्रसाद किसी मंदिर का सा मैं पाऊं 
आज मुझे तू अपने आंचल में छुपा  ले , कुछ पल के लिए मैं भी बच्चा बन जाऊँ ....


तेरी आँखों में नशीली चमक नहीं ,तुझे एक  सच्ची सी ख़ुशी लौटाऊं 
तेरे आंचल में सिमटकर मैं भी , अपने अस्तित्व को जैसे भूल जाऊं 
तू करे कंघी अपनी उंगलियों से , मेरे बालों में ऐसे
सारे तनाव , चिंता और दुःख को अपने से दूर भगाऊँ 
तेरी फैले गेसुओं से मैं, एक  बच्चे की तरह से उलझ जाऊं 
तू छुपा  ले मुझे इस बेदर्द दुनिया से अपने आंचल में
कुछ पल के लिए मैं भी बच्चा बन जाऊं ....


करूँ शरारत मैं भी ऐसी , की अपने बचपन में लौट जाऊँ 
तेरी नाभि में अपनी छोटी ऊँगली को, मैं शरारत में धीरे से फिर से घुमाऊँ 
तू हो जाए नाराज ऐसे की, तेरा खोया प्यार मैं और पाऊँ 
तू चूमे मुझे समझ कर एक  बच्चा , ऐसी भोली हरकत मैं कर जाऊँ 
आज मुझे तू अपने आंचल में छुपा  ले , कुछ पल के लिए मैं भी बच्चा बन जाऊँ ....

By 
Kapil Kumar

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