मेरी इच्छा तो यही की मारते दम तक यूंही खिलखिलाती रहो ...
यह तुम्हारी मर्जी मेरे पास रहो या दूर रहो ...
खुदा भी इतना जालिम नही हो सकता ....
की वो यूं मुझे बिखरने देगा
इक दिन , तुम्हारी नजरो मे मेरा अस्तित्व भी पनह लेगा ...
तब तक है मुझे इस इंतजार का जहर पीना
आओ इस इंतजार को खुशी समझ
धूल मे उड़ाते चलो ....
By
Kapil Kumar
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