Thursday, 31 December 2015

इन्तजार




ना हो जाये देर कहीं , तुझे आवाज देने में 

पकड ना लूँ किसी और का हाथ, मैं भी यूँही अनजाने में 

मत देना दोष मेरी मोहब्बत  को, तू फिर यूँ ज़माने में

मैंने  तो किया था इन्तजार तेरा, इस दिल को बहुत बहलाने में ....


अब भी वक़्त है, मेरी मोहब्बत का दामन थाम ले 

कुछ मैं भी जी लूँ , कुछ तू भी जी ले 

इस ढलती जवानी के आगोश में 

एक  दिन खाक में मिल जायेगा जिस्म दोनों का 

यूँही एक  दूसरे  के इन्तजार में .... 


By
Kapil  Kumar 

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