इतनी सारी ख्वाहिशो के बदले , बस दो प्रेम की बुँदे टपका देती
मेरे सूखते हलक में कुछ पल की राहत पहुंचा देती
किसने मांगी है सौ साल की उम्र .....
मिले तेरा साथ भले ही कुछ पल का , उसपे मैंने यह बची जिंदगी वारी है
इतना वक़्त कुछ घसीट कर , कुछ रेंग कर काटी है
अब नहीं हिम्मत मुझमें , की समझूँ अभी भी रास्ता आधा बाकी है .....
इन बचे सालों के बदले , कुछ पल के सकून का सौदा अच्छा है
अगर तू हो साथ , फिर जिंदगी नहीं भारी है .......
By
Kapil Kumar

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