आज ही ख़्याल आया .......
लहराती जुल्फों के पीछे से तेरा चेहरा नजर आया.......
लगा मुझे यूं जैसे चाँद बादलों में से निकल आया .......
तेरी मुस्कराहट देख पतझड़ को भी रहम आया ......
मेरा दिल यह सोच कर गुदगुदाया ...........
कि तुझे भी .........
लिखने का आज ही ख़्याल आया .......
By
Kapil Kumar
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