Friday 25 December 2015

तेरी धड़कन......





मेरे सवालों  के जवाब से क्यो नज़रें  चुराती हो  ......  

कहीं  ऐसा तो नहीं  , इसी बहाने अपनी दिल के  राज़  छिपाती हो ...... 


क्या करोगी इन्हें  अपने सीने मे दबाकर  ......



यह तो निकल आते है , मेरे दिल से तेरी धड़कन बन कर ...... 


By

Kapil Kumar 

No comments:

Post a Comment