Sunday, 29 November 2015
कैसे ?
किसी के अरमानो की कब्र के ऊपर , नया आशियना बसाऊं कैसे .....
तेरी मांग उजाड़ कर , तुझे अपनी दुल्हन बनाऊं कैसे ?
कैसे मिलेगी मुझे भी कोई ख़ुशी..
..
दुसरो को रुला कर , खुद को हसाउँ कैसे ?
अब तो बुझने लगा है मेरी उम्मीदों का भी दीया .....
दुसरो का घर जला कर ,अपनी दिवाली मनाऊं कैसे ?
होता बस में मेरे अब तक, खुद को भी मिटा देता .....
तुझे अकेला छोड़कर , इस दुनिया से जाऊं कैसे ?
थक गई आँखे तेरे इन्तजार में , सांस भी नहीं चलती अब किसी आस में ...
इस मुर्दा होते शरीर का बोझ उठाऊं कैसे ?
दिल है की अब भी मानता ही नहीं ....
इसे अब नये बहानों से बहलाऊँ कैसे ?
तुझे भुलाने के लिए , कोशिसे की हजार
आँखों में झोका इस दुनिया का गंद भी कई बार
मन को फुसलाने के लिए , नीचे गिरा कई बार
फिर भी तेरी मूरत को इस दिल से हटाऊँ कैसे
तू ही अब बता तुझे मैं पाऊं कैसे ?
तेरी मांग उजाड़ कर , तुझे अपनी दुल्हन बनाऊं कैसे ?
कैसे मिलेगी मुझे भी कोई ख़ुशी..
..
दुसरो को रुला कर , खुद को हसाउँ कैसे ?
अब तो बुझने लगा है मेरी उम्मीदों का भी दीया .....
दुसरो का घर जला कर ,अपनी दिवाली मनाऊं कैसे ?
होता बस में मेरे अब तक, खुद को भी मिटा देता .....
तुझे अकेला छोड़कर , इस दुनिया से जाऊं कैसे ?
थक गई आँखे तेरे इन्तजार में , सांस भी नहीं चलती अब किसी आस में ...
इस मुर्दा होते शरीर का बोझ उठाऊं कैसे ?
दिल है की अब भी मानता ही नहीं ....
इसे अब नये बहानों से बहलाऊँ कैसे ?
तुझे भुलाने के लिए , कोशिसे की हजार
आँखों में झोका इस दुनिया का गंद भी कई बार
मन को फुसलाने के लिए , नीचे गिरा कई बार
फिर भी तेरी मूरत को इस दिल से हटाऊँ कैसे
तू ही अब बता तुझे मैं पाऊं कैसे ?
By
Kapil Kumar
Monday, 16 November 2015
दिल को बहलाया जा सकता है ....
काली आंधियो
को
भी
घेरा
जा
सकता
है
....
दरिया हो
उफान
पे
तो
उसका
भी
रुख
मोड़ा
जा
सकता
है
...
पहाड़ को
काट
कर
उसमे
से
भी
रास्ता
बनाया
जा
सकता
है
...
पर तेरे दिल मै जगे मोहब्बत , यह असंभव सा जान पड़ता है ....
पर तेरे दिल मै जगे मोहब्बत , यह असंभव सा जान पड़ता है ....
गूंगे को
बोलना
सिखाया
जा
सकता
है
.....
बहरे से
भी
संवाद
किया
जा
सकता
है
...
नासमझ को
इशारे
से
भी
समझाया
जा
सकता
है
...
तू भी
करेगी
इकरार
इस
मोहब्बत
का
, यह बहुत
ही
अहमक
ख्याल
जान
पड़ता
है
....
मोहब्बत की
दास्तान
को
नए
तरीके
से
लिखा
जा
सकता
है
...
मजनू को
भी
मोहब्बत
का
नया
पाठ
पढाया
जा
सकता
है
...
लैला को
किसी और की
मोहब्बत
में
बरगलाया
जा
सकता
है
....
पर तू
मुस्कुरा
कर
देखेगी
मेरी
तरफ
, ऐसे ख्यालात
पे
सिर्फ
हंसा
जा
सकता
है
...
हैवान को
भी
इन्सान
बनाया
जा
सकता
है
....
नास्तिक
को
भी
आस्तिक
बनाया
जा
सकता
है
मुर्दे
को
भी
जिन्दा
कराया
जा
सकता
है
....
तू होगी
मेरी
कभी
, इस ख्यालात
पे
सिर्फ
अपने
दिल
को
बहलाया
जा
सकता
है
....
By
Kapil Kumar
Sunday, 15 November 2015
तुम ही हो मेरे खुदा !!
तुम ही तो हो मेरे खुदा ..... तुम ही हो मेरे खुदा.... किये है सारे सजदे मेने ..बस होके तुमपे फ़िदा ... तुम ही तो हो मेरे खुदा ..... तुम ही हो मेरे खुदा....
तुम ही तो हो मेरी दिलरुबा ..... तुम ही हो मेरी दिलरुबा ... कैसे रहूँगा मैं जिन्दा , हो गया अगर तुमसे जुदा ..... तुम ही हो मेरे दिलरुबा ..... तुम ही हो मेरे खुदा.....
तुम ही हो मेरे नाखुदा ... तुम ही हो मेरे नाखुदा ... लड़ गया इन तुफानो से अकेला ... मैं तो करके तुमपे वफ़ा .. तुम ही तो हो मेरी नाखुदा ..... तुम ही हो मेरे खुदा.....
तुम ही हो मेरे महकशा ..... तुम ही हो मेरे महकशा ..... आँखों में समा कर जिसे , पी रहा हूँ जिन्दगी का नशा ... तुम ही हो मेरे महकशा ..... तुम ही हो मेरे खुदा .....
तुम ही हो मेरे वफ़ा ..... तुम ही हो मेरे वफ़ा ..... दिल की आईने में सजती है , तस्वीर जिसकी सबसे जुदा .... तुम ही हो मेरे वफ़ा ..... तुम ही हो मेरे खुदा .....
By
Kapil Kumar
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