अरे पंडित जी कोई अच्छा सा मुहूर्त बतलाइये , अरे जजमान अभी शुभ मुहूर्त नहीं है या अभी कुछ दिनों तक रुकिए बस बसंत पंचमी के बाद शुभ मुहूर्त ही मुहूर्त है ..अभी तो सारे देव सोये हुए है ...
यह आम आदमी की बड़ी आम सी भाषा हम किसी ना किसी अवसर पे सुनते या बोलते रहते है... बिना उसका अर्थ जाने या समझे.... हम किसी भी शुभ या बड़े काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त की कामना करते है....
यह आम आदमी की बड़ी आम सी भाषा हम किसी ना किसी अवसर पे सुनते या बोलते रहते है... बिना उसका अर्थ जाने या समझे.... हम किसी भी शुभ या बड़े काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त की कामना करते है....
कम से कम इक आम हिन्दू अपने दैनिक जीवन में ऐसा सोचता या करता है... पर मुहूर्त है क्या ? यह क्या बाला है ?... जो किसी वक़्त को अच्छा या बुरा साबित करती है.. .. आखिर किसी भी समय या
किसी विशेष समय में क्या अंतर है ?
शायद हम लोग इसके बारे में ज्यादा भेजा ख़राब नहीं करते? बस सदियों से चली आ रही रीति को इक भेड़ चाल की तरह आँखे मूंदे मानते या अपनाते जाते है आखिर क्यों ?
मेने इस विषय पे काफी सोचा और समझा पता नहीं मैं इसके बारे में कितना सही या गलत हूँ? बस दिमाग ने कहा आखिर हम कब तक इक दकियानूसी रिवाज का पालन किस लिए करे क्योकि किसी पोंगे पंडित ने अपने मन से कह भर दिया....की ...फला दिन शुभ या अशुभ है .... आखिर किसी पे इतना अँधा विश्वास क्यों ?
काफी सोचा और समझा तो दिल और दिम्माग के बीच इक संतुलन बना की ऐसी कुछ संभावना हो सकती है जिसे मेरी कोरी कल्पना या इक सम्भावना भी कह सकते है .....
देखने में आया है की हम किसी विशेष कार्य के लिए किसी विशेष दिन का चुनाव करते है... हकीकत में देखे तो हर दिन शुभ है अगर नहीं तो दुनिया में हर दिन लाखो बच्चे रोज ना पैदा होते?
क्या कोई माता पिता या कोई खुद यह मानेगा की शनिवार को पैदा हुआ उसका बच्चा जो उसने बड़ी मन्नतो या इन्तजार के बाद पाया है अशुभ है ....या वोह खुद जो आज इक काबिल और सफल इन्सान है सिर्फ इसलिए अशुभ कहलाये की वोह शनि को पैदा हुआ है ....क्या खाली मंगल को पैदा हो जाने भर से कोई बच्चा हनुमान जैसा भक्त या शुक्र यानी जुम्मे के दिन को पैदा होने वाला सच्चा मुस्लिम बनेगा या होता है ...फ़िर किसी विशेष कार्य के लिए किसी विशेष दिन का इंतजार क्यों ?
आखिर मुहूर्त का जन्म क्यों और कैसे हुआ ?...
जन्हा तक मेरी सोच इस विषय पे जाती है तो मुझे यह लगता है शायद हिन्दुओ ने ग्रह और नक्षत्रो की स्थिति का ज्ञान और विश्व के मुकाबले काफी पहले अर्जित कर लिया था और इस ज्ञान के अनुसार उन्होंने किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने का समय ग्रह और नक्षत्रो की स्थिति के अनुसार करने का इक तरीका अपनाया होगा ....की बहुत गर्मी या सर्दियों के दिनों में कुछ कार्य नहीं किये जाए ....यह सब उस स्थान की भोगोलिक स्थिति के अनुरूप रहा होगा की ..जंहा कंही सूर्य उदय जल्दी या देर से होता या कंही मौसम में गर्मी या ठण्ड की तीव्रता कब कम या ज्यादा होती .उस वक़्त कोई विशेष कार्य वंहा की भोगोलिक परिस्थिति के अनुरूप है या नहीं ...जिसे कालांतर में आने वाली पीढ़ी ने मुहूर्त समझ कर सिर्फ अपना भर लिया ....
अगर पुराने समय में जाए तो बहुत सारे कारण गिने जा सकते है की किसी शुभ कार्य को करने के लिए मौसम या ऋतू का ध्यान रखना अति आवश्यक था .... पर इन सबसे बढ़ कर इक बात दिमाग में कौंधती है की शुभ कार्य पे किसी पूजा या हवन का आयोजन भी किया जाता था.... जो कुल गुरु या किसी मंदिर के पुजारी दवारा ही सम्पन होता था
अब उनके अपने कुछ नियम क़ानून थे की शादी का समय इस मौसम में हो तो ९ महीने बाद स्त्री गर्भवती हो तो उस वक़्त ना ज्यादा ठण्ड हो ना ज्यादा गर्मी ..ताकि बच्चा और जच्चा मौसम की आपदा को आसानी से झेल सके ...
ऐसे ही किसी नए वयवसाय को शुरू करने से पहले इसी तरह की अवधारणा का रिवाज रहा होगा ...की ... किस समय में लोग नयी वस्तु खरीदना या बेचना चाहते है ...जैसे किसान के फसल पकने का समय या उसे बोन का समय उसके लिए अति महत्वपूर्ण है .....
ऐसे ही किसी नए वयवसाय को शुरू करने से पहले इसी तरह की अवधारणा का रिवाज रहा होगा ...की ... किस समय में लोग नयी वस्तु खरीदना या बेचना चाहते है ...जैसे किसान के फसल पकने का समय या उसे बोन का समय उसके लिए अति महत्वपूर्ण है .....
ऐसे ना जाने कितने कारण आप उस वक़्त की परिस्थितियों से जोड़ कर देख सकते है...
की.... उस समय में बिना बिजली और पानी के किसी मौसम में कोई कार्य करने का क्या अभिप्राय था या ऐसे किसी शुभ अवसर पर जिसमे जात बिरादरी के लोगो का जुड़ाव हो उस वक़्त उनके अपने व्यवसायिक हित और यातयात की सुविधा या असुविधा आदि भी वक़्त को मद्दे नजर रख कर की जाती थी
.....
पर अब लोगो के वयवसाय बदल गए ..दिनचर्या में बड़ा बदलाव आगया और विज्ञानं की उन्नति के कारण कई सारी प्राकृतिक आपदाये या विध्न आज के समय में कोई मायने नहीं रखते ... ऐसे में अगर हम किसी विशेष दिन या महीने को शुभ या अशुभ बोलो तो आज के परिवेश में यह बहुत ज्यादा तर्क सांगत नहीं लगता .....
अब देखने की बात यह है की अगर आपके शहर में चुनाव हो तो क्या आप उस दिन कोई जलसा या विशेष कार्य करना चाहेंगे जिसमे आपके जिन मेहमानो को दूर से आना हो और आपको उनके लिए खान पान आदि की वयवस्था करनी हो या आपके अति घनिष्ठ संबंधी या रिश्तेदार का बच्चा किसी अति महत्वपूर्ण परीक्षा में बैठ रहा हो ....तो क्या यह समय किसी ऐसे कार्य के लिए उचित रहेगा जिसमे आप अपने करीबी लोगो को देखना चाहते है .... कहने को यह ज्यादा मुश्किल नहीं पर फिर भी आप ऐसे दिन को टालना चाहेंगे... जैसे बच्चो के इम्तिहान के दिन या किसी का अति महत्वपूर्ण कार्य दिवस या किसी अकाउंटेंट के लिए मार्च की क्लोजिंग का समय या किसी मिठाई और ज्वेलरी की दुकान वालो के लिए दिवाली का सीजन आदि समय उनके वयवसाय के लिए अतिमहत्वपूर्ण है ...
पर अब लोगो के वयवसाय बदल गए ..दिनचर्या में बड़ा बदलाव आगया और विज्ञानं की उन्नति के कारण कई सारी प्राकृतिक आपदाये या विध्न आज के समय में कोई मायने नहीं रखते ... ऐसे में अगर हम किसी विशेष दिन या महीने को शुभ या अशुभ बोलो तो आज के परिवेश में यह बहुत ज्यादा तर्क सांगत नहीं लगता .....
अब देखने की बात यह है की अगर आपके शहर में चुनाव हो तो क्या आप उस दिन कोई जलसा या विशेष कार्य करना चाहेंगे जिसमे आपके जिन मेहमानो को दूर से आना हो और आपको उनके लिए खान पान आदि की वयवस्था करनी हो या आपके अति घनिष्ठ संबंधी या रिश्तेदार का बच्चा किसी अति महत्वपूर्ण परीक्षा में बैठ रहा हो ....तो क्या यह समय किसी ऐसे कार्य के लिए उचित रहेगा जिसमे आप अपने करीबी लोगो को देखना चाहते है .... कहने को यह ज्यादा मुश्किल नहीं पर फिर भी आप ऐसे दिन को टालना चाहेंगे... जैसे बच्चो के इम्तिहान के दिन या किसी का अति महत्वपूर्ण कार्य दिवस या किसी अकाउंटेंट के लिए मार्च की क्लोजिंग का समय या किसी मिठाई और ज्वेलरी की दुकान वालो के लिए दिवाली का सीजन आदि समय उनके वयवसाय के लिए अतिमहत्वपूर्ण है ...
कहने का सारांश यह है समय शुभ या अशुभ नहीं होता... हमारी परस्थितयां समय के अनुसार अनुकूल या प्रतिकूल होती है ...अब दुनिया में रोज हजारो बच्चे हर घडी पैदा होते है तो उसी घडी हजारो कंही न कंही मरते भी है .....जन्हा किसी के घर में इक चिराग रोशन होता है तो दूर कंही उसी समय किसी के घर का उजाला हमेशा के लिए अँधेरे में खो जाता है.....
फिर कैसे कहे की कौन सी घडी शुभ या अशुभ है ??
अगली बार जब आप किसी विशेष कार्य के लिए किसी पंडित की शरण में जाए तो उससे पहले आप यह देखे की ..आप जिन्हें इस अवसर पर निमंत्र्ण देना चाहते है ....
क्या यह समय आपके और उनके लिए उचित है ????
और अंत में .....
कोई भी समय कभी गलत या सही नहीं होता ..सिर्फ हमारे फैसले , होसला और कर्म ही उसे सही या गलत बना देते है ....
By
Kapil Kumar
Note: “Opinions expressed are those of the authors, and
are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is
purely coincidental. Do not copy any content without author permission”
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