Friday 13 November 2015

क्या आदमी की कीमत कुत्ते से भी कम है ?



दामनी दनदनाती हुई आई और आते ही तृष्णा के ऊपर बरस पड़ी ......तुझे शर्म नहीं आई ..जो इस उम्र में तू इक लड़के को अपने घर ले आई ..वोह उम्र में तुझसे कितना छोटा है और तू उससे ही इश्क लड़ाने चली है ...और ना जाने कितनी ही बाते उसने इक ही साँस में तृष्णा को सुना डाली ....

कृष्णा बुद्ध का सा बुत बने उसकी बातो को सुनती रही और बीच बीच में मंद मंद मुस्कुरा देती ..जब जब तृष्णा मुस्कुराती ..दामनी का क्रोश और बढ़ जाता और वोह कुछ और बोलने लग जाती ...जब वोह चिल्ला कर थक गई ..तो तृष्णा ने उसे हाथ पकड कर अपने सामने के सोफे पे बैठाया और उसके सामने पड़े दुसरे सोफे पे खुद बैठ  गई ...

दामनी और तृष्णा दो जुड़वां बहने थी ...जिनकी किस्मत भी अजीबो गरीब थी ..दामनी देखने में साधारण शक्ल सूरत की थी ...तो तृष्णा जीती जागती अजन्ता की मूरत ..जो भी उसे देखता ठगा सा रह जाता ..की इंसानी वेश में कोई रूहानी परी तो नहीं ...जन्हा दामनी दिमाग से तेज थी तो वन्ही तृष्णा अपने ख्यालो की दुनिया में जीने वाली लड़की ...जिसका दिमाग भी दिल के सहारे चलता .....दामनी तेज तरार तो तृष्णा शांति की मूरत ...

दोनों इक दुसरे के विपरीत ऐसी जुड़वाँ बहने थी ... दोनों बहनों को देखकर किसी को भी विश्वास ना होता ..की वोह दोनों सगी जुड़वाँ बहने भी है .... ना तो शक्ल में ..ना ही अक्ल में और ना ही वयवहार में उनमे कोई समानता थी ....

जवान होने पे दोनों ने अपने अपने भविष्य को अपनी पसंद से दिशा दी ... पर दोनों के जीवन में इक बदनसीबी का साया मंडराता रहा ....
तृष्णा सुन्दरता में उलझी अपने रूप रंग की चकाचोंध से मोहित इक रूहानी दुनिया में जीती ...जिसमे सिर्फ मोहब्बत और वादे थे ...जिनका हकीकत की दुनिया से कोई वास्ता ना था ...इसी के वशीभूत उसने इक सजीले नौजवान को अपना हमसफर बना लिया ......

वन्ही दामनी ने अपना भविष्य कानून की पेचदियों में उलझा लिया और अपना हमसफर भी अपने जैसा ही चुन लिया ...दामनी का पति अपनी साधारण सी दिखने वाली बीवी पे अपनी जान छिडकता ...वन्ही इसके विपरीत तृष्णा का पति अपनी अप्सरा सी बीवी को छोड़ दुनिया की हर स्त्री के पीछे दीवाना बना घूमता  ....

अपने पति की हरकतों से आजिज तृष्णा ने भी उसकी तरफ से आँखे मुंद ली ....उसने बचपन से .... इक ऐसे हमसफर के सपने संजोये थे ..जो दिन भर उसके ही ख्यालो और प्रेम में डूबा रहे ....पर हकीकत ने उसे कुछ और ही दिया था और इक दिन वोह भी उसे अकेला छोड़ किसी और का हो गया ...

तृष्णा जो निहायत ही खुबसूरत थी ...जिसके हजारो दीवाने थे ... उसको सच्ची मोहब्बत ना मिल सकी .... तो वन्ही दामनी जिसे परिवार तो मिला पर औलाद नसीब ना हुई ... उसे बचपन से ही बच्चो से बहुत लगाव था और इसी खालीपन को दूर करने के लिए उसने इक कुत्ते का बच्चा पाल लिया ..की चलो इसी के बहाने कुछ मन बहला लिया जाए ...

तड़प दोनो बहनों में थी ...इक पुरुष का प्रेम पाने के लिए तो दूसरी अपने बच्चे को दुलारने के लिए बैचेन रहती ...
दामनी , तृष्णा के सामने बैठ गई ....तृष्णा ने इक नजर उठा कर दामनी को देखा ..दामनी की गोद में इक छोटा सा पप्पी सुकड़ा सा बैठा था ...जो बार बार मुह उठा कर दामनी का मुह चाट लेता और बदले में दामनी उसे कभी चुम्बन तो कभी प्यार से दुलार देती ...
तृष्णा ने अपना गला खांकरा और बोली ..यह बता .... तूने इस कुत्ते को अपनी गोद में क्यों बैठा रखा है ?
तृष्णा का सवाल सुन दामनी भड़क गई और बोली ..यह क्या बात हुई ...इसे कुत्ता मत बोल यह तो मेरे बच्चे जैसा है ....अरे यह पप्पी तो मेरी जान है ....तुझे पता है ..की मै इसके बिना कंही नहीं जाती ..बल्कि यह तो मेरे बिस्तर पे भी सोता है ?

अच्छा तो इक कुत्ते का बच्चा तेरी जान है ...तृष्णा ने दामनी की हंसी उड़ाते हुए कहा ...

इस बात पे दामनी भड़क गई और बोली ..तू तो मेरी बहन है ..तुझे पता है ...की हम लोगो के कोई औलाद नहीं है ..इसलिए मेने इसे पाल लिए ..इसी के सहारे मेरा मन लगा रहता है ...यह तो मेरे लड़के जैसा है ...इसे मेने कभी कुत्ता समझा ही नहीं ...

दामनी की बात सुन तृष्णा ने इक हुंकार ली ..तूने अपने बच्चे की कमी इक कुत्ते से पूरी कर ली ..पर मेरा क्या ...मैं तो जीवन में अकेली हूँ ..मुझे भी तो इक सहारे की जरुरत है ....मुझे भी तो कोई मोहब्बत करने वाला चाहिए ...जो मेरे इर्द गिर्द घुमे ..मेरी खवाहिशे सुने ...मेरी खूबसूरती की तारीफ़ करे .....ऐसे में मेने .... किसी इन्सान के बच्चे को अपने घर में रख लिया और उससे मोहब्बत करली ..तो ऐसा क्या गुनाह कर दिया ?...

तृष्णा की बात सुन दामनी उसका मजाक उड़ाते हुए बोली ..वोह सब ठीक है ..पर तेरी और उसकी उम्र में देखा है कितना फर्क है ..वोह तुझसे 15 साल छोटा है ..तू 35 की है और वोह 20 का ...है कोई मेल मिलाप ...तुझे उसके साथ इश्क लड़ते शर्म नहीं आती ? और वोह करता क्या है कुछ नहीं ..सिवाय तेरे टुकडो पे पलने के .... ऐसे गैरतमंद इन्सान को तू कैसे प्यार कर सकती है ..यह प्रेम नहीं सिर्फ सौदा है ..जिसमे तूने उसे ख़रीदा है .....

तृष्णा ने हुंकार ले और दामनी की तरफ नफ़रत से देखा और बोली .... इक कुत्ता जो कंही भी अपना मुंह डाल लेता है ...चाहे वोह कूड़ा हो या गंद ....वोह तेरा मुह चुम्मे ...तू उसे सहलाये और अपनी गोदी में दिन रात बैठाये तो सही ..पर मैं इक इन्सान के बच्चे के साथ थोडा सा  प्रेम करूँ तो वोह गलत ...क्या इन्सान का बच्चा ..कुत्ते के बच्चे से भी गया गुजरा है ?

तू तो इस कुत्ते के बच्चे की गन्दी भी साफ करेगी , उसे खाना पीना सब देगी ..उसकी पूरी देखभाल भी करेगी ..आखिर क्यों ?

सिर्फ इसलिए की वोह तुझे बच्चे की कमी ना होने दे ..तुझे कुछ पल का साथ दे दे ...बस इससे ज्यादा क्यावोह तो ना बोल सकता है और ना ही तेरी जबान समझ सकता है ...फिर भी तू उसे पालने को तैयार ...

क्या मैं इक इन्सान के बच्चे को अपने साथ नहीं रख सकती ..जो मुझे मोहब्बत कर सके ....मेरी खूबसूरती की तारीफ कर सके ....अगर बदले में मैं उसे कुछ पैसा और खाना दे दूँ तो क्या गलत है ? ... वोह फिर भी इन्सान का बच्चा तो है .... हम दोनों अपनी जरूरतों के हिसाब से अपनी अपनी चीजे पाल रहे है .... मैं इन्सान का बच्चा तो तू जानवर का ...

क्या इन्सान की कीमत इक कुत्ते से कम है ?

तृष्णा की बात सुन दामनी अपना रुवांसा सा चेहरा लिए वंहा से रुक्सत हो गई ....

By 
kapil Kumar 



Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental”. Please do not copy any contents of the blog without author's permission. The Author will not be responsible for your deeds..


No comments:

Post a Comment