ऐ खुदा तू ही बता , यह जिन्दगी जियूं किस तरहा ... रात की नींद नहीं , दिन का चैन लापता ..... ऐ खुदा तू ही बता , यह जिन्दगी जियूं किस तरहा??......
उसके इन्तजार में , मिलने की आस में , हर रात को अपने अरमानो को दिए की तरह , मैं यूँ जला रहा .... की उसको अँधेरे में भी , मिल जाए मेरा अता पता ... पर हर बार की तरह , वो मुझे दे जाती दगा .... ऐ खुदा तू ही बता , अब उसको धुंडू कंहा ??......
ठंड की सर्द रातो में , उसकी यादो को सीने में समेटकर .. लिपटा रहा ठंड में उनसे , गमो की रजाई ओढ़कर ... उन सर्द रातो के बहाने , मेने अपना दिल बहलाया ... पर इस दिन ने आकर मुझको , फिर से यूँ जगाया .... ऐ खुदा तू ही बता ,इस दिन को उसका क्या दूँ पता ??
पतझड़ ने भी साथ निभाया , इस टूटे दिल को बहलाने में ... फिर सजने लगी डालियाँ बागो में , बहार के आगे सर झुकाने में ... ऐसे में इस बेदर्द बहार ने , मेरा सोया प्रेम फिर से जगाया .... इस नादाँ दिल को , अब मैं क्या दूँ , फिर से नया बहाना .. ऐ खुदा तू ही बता ,कंहा है मेरे सनम का ठिकाना ??....
यह बेदर्द सावन फिर क्यों आया , अरमान सो गए थे जो गर्मी में झुलस कर .. उसको इसने , अपनी शीतल पवन से फिर उठाया .. फिर से दिल मचलने लगा , उससे मिलने की तमन्ना कर कर ... तडपते इस बदन को , अब मैं दूँ किसका आसरा .... ऐ खुदा तू ही बता ,उसको धुंडू कंहा??.....
By
Kapil Kumar
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