Monday 9 November 2015

खाना कौन पकाएगा?




जंग का मैदान फ़ोजी के लिए फ्रंट तो बॉक्सर के लिए रिंग और पहलवान के लिए आखाडा होता है पर सास बहु के लिए घर में यह किचन होता है तो इसे जंग को लड़ने के लिए एक मध्यम वर्गीय परिवार में सास और बहु दोनों अपनी अपनी तलवारे मांज रही है मतलब (दोनों अपने अपने पल्लू खीसे में खोंस रही है..बहु... अपनी चूडियो को कलाइयों के पीछे कस रही है और सास अपनी छड़ी की मूठ पे पकड़ कस के बैठी है) ... .....बहु के पास ढाल के लिए पति तो... सास के पास ढाल  के लिए बेटा है!!...
ससुर की इज्जत तो कल भी दो कौड़ी की थी और आज भी दो कौड़ी की है .... उस बेचारे को हमेशा मैदान से बहार बैठकर तीसरा अम्पायर बना दिया जाता है..ताकि दोनों पार्टी ,जब फैसला ना ले सके तो तीसरे अम्पायरके पास जा सके और उसका भी बैंड अपनी अपनी मर्जी से बजा सके !!......
बेटे की हालत बॉक्सिंग लड़ रहे दो खलीफाओ के रेफरी की है .... जिसका दोना  तरफ से पीटना तय है .. खेर ... रविवार का दिन है बेटा और बाप दोनों औरतो की तरफ ऐसे नजर लगाये बैठे है, कब उनमे से ,कौनसी देवी, प्रसन्न होकर अनपूर्रना का अवतार लेगी और उनके पापी पेटो की आग शांत करेगी ! पर  हकीकत में ऐसा कभी होता नहीं है और ना ही कभी होगा! पर मुंगेरी लाल की तरह सपने देखने में बाप और बेटा दोने माहिर है!!.....खेल शुरू होने के लिए .... रिंग में सिटी बजती है और अचानक यंहा.....किचन से ..कुकर की सिटी बजने की आवाज आती  है!!........
 सास  ... मन ही मन में (अरी ओ मेमसाहब..) पर मुंह से....अरे पूजा बेटा.. देखना तो... कुकर की सिटी  बज रही है... दाल पक गयी या नहीं?.....मेने दाल भीगो के रख दी थी अब उसे पकाने में सिर्फ गैस ही तो ओन करनी थी! .....इतना भी ना होता है तेरे से? मेरे जोड़ो का दर्द फिर शुरू हो गया है इस कम्बखत ठण्ड में इक पल का आराम भी नहीं !!!...

बहु(pooja) .... मन ही मन में (बुढिया दिन भर खाट  तोडती है और काम के वक़्त जोड़ो का बहाना) ....पर सास की तरफ चिल्ला कर बोली ...मेने भी तो उसे गैस पे चढ़ा दी थी .... बस गैस को बंद ही तो करना है ....अरे मम्मी जी....मैं ना, इनकी कमीज में बटन लगा रही हूँ ....ऐसे में दौड़ के कैसे आयू?.. कंही फिसल गयी तो , खामखां लोग बोलेंगे अरे बहु को कंही जला तो नहीं रहे थे ?आप तो रसोई के कितने पास है ..जरा उठे देख ले, की दाल पकी है या नहीं?.. और उसके बाद.. दो मेरे और इक इनका फुल्का भी बना देना.... अब आप रसोई में जा रही है, तो इक साथ दो लोग तो काम  नहीं के सकते इस छोटी सी रसोई में ....इन्हें तो मेरे हाथ का खाना,अच्छा ही नहीं लगता ... आप रसोई में पहुंचे... मैं बस थोड़ी ही देर में आती हूँ ...आपको कितनी बार कहा ...apple cyder vinager(ACV) पीने के लिए ... अब जोड़ो में दर्द नहीं होगा तो क्या होगा? ....फिर बोलेंगी... बहु तो सास का ख्याल ही नहीं रखती ...पर ..सास है, की सुनती ही कंहा है ?.....
 सास ...... मन ही मन में (वाह! हमारी बिल्ली, हमें ही सीखा रही है )... अरी तेरा वश चले.... तो, तू ,मुझे सारी कडवी चीजे पिला दे....कभी तू कह वे , यह सड़े हुए सेब का सिरका(ACV) पियो.... कभी तू मेरी चाय पे नजर लगा वे, और बोले .....दूध वाली काली चाय ना पियो ... इस मुई हरी चाय को पियो..इससे अच्छा यह है की मुझे जहर देदे ..... अब बुढ़ापे में मुझे इधर उधर दौड़ा रही है, तुझे पता तो है .. मैं रसोई में जाने से, कितना डरु हूँ ...कल चाय बनाते वक़्त चक्कर सा आ गया था ... वोह तो अच्छा हुआ तेरे ससुरजी थे... वक़्त पे ,उन्होंने मुझे संभाल लिया .. वरना चाय की जगह मैं ही गैस पे जल जाती ....अब तो ,तेरे हाथ की जली हुयी दाल का स्वाद ,इन्हें भी अच्छा लगने लगा है ... तू जाकर गैस देख ले...मैं .. मैं देखू इन बाप बेटो का क्या हाल चाल है?

बहु(pooja).... मन ही मन में (सास है या नौटंकी)....ठीक है मम्मी जी ... अब जब आप से कुछ होता ही नहीं तो हम भी क्या करे .... सारा दिन हमें ही रसोई में कीच कीच करनी पड़ती है ..उसपे आप कहेंगी... तूने प्याज-लहुसन का हाथ लगा दिया!..... तूने घी तो डाला ही नहीं?....तूने चावल का मांड तो फैका ही नहीं?...अब इतने सारे कायदे कानून में, हमें क्या याद रखना है और क्या नहीं, बहुत प्रॉब्लम हो जाती है! ....आप का बेटा और ससुरजी ..दोनों ही आपके हाथ का खाना खाने के आदी है....अब हम भला उनकी पसंद का खाना... आपके जैसा कैसे बना सकते है?...आप रसोई में जाकर देखे और हम डाइनिंग टेबल पे देखते है की बर्तन और पानी ठीक ठाक है या नहीं?....कंही इस चिक चिक बाजी में ....यह कुकर फट गया तो आपकी नयी नयी रसोई का सत्यानाश हो जायेगा ..जिसे आपने कितने मन से, ससुरजी से लड़ झगड़ कर बनवाया है!!! .... 
सास...... मन ही मन में (बहुत उस्ताद है ) ..फिर चिल्ला कर ...ठीक है... मुझ बुढिया को ही मरना पड़ेगा ....मेरे ही कर्म फूटे थे ...जो इक ग़रीब की बेटी यह सोच के घर लायी... की, घर का काम काज संभालेगी ,सास की सेवा करेगी ,पर यह तो महारानी से कम थोड़े ही ना है? ... अरे डब्बू तू कंहा मर गया .. तेरे से अपनी जोरू संभाली नहीं जाती.. ..जरा इसका समझा तो ..बड़े छोटे का लिहाज है की नहीं ?कब से टर टर करे जा रही है....काम काज तो इससे कुछ होता नहीं! ....पर ,इसकी जुबान है गज भर की!! ......

 बहु(pooja)....अरे सुनो जी......कंहा हो ?...मुझे अभी के अभी, मायके जाना है....तंग आगयी हूँ ..रोज रोज की कीच कीच से .....शादी के वक़्त तो बड़ी बड़ी छोड़ रहे थे ...की दो चार दिन काट लो ...फिर तुम्हे अलग घर दे देंगे....हम थोड़े ना ही तुम्हारे पीछे पड़े थे ...तुम ही हमारे घर के रोज चक्कर काटते थे ....हम तो इस डब्बू से यह सोच के शादी किये थे की ...घर बार ठीक ठाक है, वरना हम ऐसे रिश्ते तो देखते भी ना ......अजी कंहा हो जी... जरा इधर तो आना!!!.....
 बेटा(डब्बू )-पिताजी से ...पापाजी इनकी तो महाभारत शुरू होगई ,क्या करे? इक तरफ कुवां है दूसरी तरफ खाई, जाऊ तो जाऊ कान्हा ?.....

पिताजी---  बेटा , यह जंग कभी ख़त्म ना होगी ? तुम्हे हमें ही कुछ करना पड़ेगा, समझे... बेटा ,इन दोनों का इशारा समझो और किचन में चलो.. .. आज यह दोनों काम करने के मूड में नहीं है.....आज इतवार है और इनके जंग का दिन ....खाना तो, हमें ही पकाना पड़ेगा या तो पहले…. चुप चाप पका ले या फिर दोनों से पीटने के बाद.... और मेरा अनुभव यह कहता है.... अभी पहलवान सिर्फ लंगोट कस रहे हैं....अगर आखाड़े में आगये तो तेरी मेरी खेर नहीं ......तो मेरी सुन... तू कुकर की सिटी बंद कर और आटा गुंध.... तब तक मैं ,सब्जी काट के लाता हूँ!!............ .............................................*******
कुछ देर बाद ...सारा परिवार डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रहा है!!....

बहु(पूजा).... मम्मी जी.आपने यह ठीक नहीं किया ? आपने पापाजी (ससुर )को पूरी ट्रेनिग दे दी, खाना  बनाने की ....देखिये , पापाजी ने ,कितनी अच्छी सब्जी बनायीं है...और आपने इन्हें (अपने लाडले को मन ही मन में )कुछ सिखाया ही नहीं?.... दो चार फुल्के बनाये है, वोह भी ठीक से नहीं बने..... देखो तो... सारे के सारे किनारे मोटे  है!! ...

सास....अरी बहु तू भी ना कम अकल है!... .. हर औरत को, अपना बन्दर अपनी जरुरत के हिसाब से ,खुद ही ट्रेंड करना पड़ता है... की ,उसे कैसे और कब गुलाटी मारनी है और कब कान पकड़ने है!!.... तू भी.. सिखा दी जो इसे धीर धीरे .....और सुन…. खाना खाने के बाद , जरा मुझे, पास वाले मंदिर में छोड़ दियो और तू बाजार जाकर अपनी शौपिंग कर लियो और सुन .... मेरी लिए भी इक दो अच्छी सी साडी ला दियो .....समझी ...पैसे वैसे की चिंता मत कारियो!!!...

बहु(पूजा)....जी मम्मी जी!! ...जैसा आप कहे ...आप चिंता ना करे .... जन्हा कहेंगी , वंहा आपको छोड़ दूंगी ... पर ... घर का काम काज कौन देखेगा?....
 सास....अरे कौन देखेगा क्या मतलब? ... घर में दो दो मर्द है मिल बाँट के कर लेंगे!!... वैसे भी ५ दिन, तू और मैं कैसे काम करते है? इन्हें पता तो चले...बस आते है और हुक्म चला कर चले जाते है.....चल जल्दी कर मुझे देर हो रही है!!..................................******

25 साल बाद अब बहु पूजा सास बन चुकी है और बेटे ने मोर्डेन लड़की से शादी कर ली है ...घर का नजारा ........ रविवार का दिन!! ......

सास (पुरानी बहु पूजा)...... अपने बेटे की बीवी यानी ..अपनी बहु से ..... अरी बेटी ...आज लंच में क्या बनाया है?
 बहु (जिसका नाम डेज़ी है ) ......नाक मुंह सुकोड़  कर ... What did you say about lunch? Mom comeon!!...... आजकल, सन्डे को कौन, घर का खाना खाता है? ....मैं और केपी , दोनों अपने दोस्तों के साथ लॉन्ग ड्राइव पे जा रहे है..... वैसे भी यह आपका...दाल भात ...रोटी- वोटी.... सब, आउट ऑफ़ डेटेड खाना है!....Ohh! My God!! ....कितना कार्ब खाते हो आप लोग? .....  हम लोग सिर्फ बैलेंस फ़ूड खाते है......आपको कितनी बार कहा! ..सिर्फ सालाद और सूप लिया करो!!....आप सुनती कंहा है? और प्लीज ....बार -बार, लंच और डिनर के  बारे में पूछ के, हमारा मूड ख़राब न करो!... आपका वश चले, तो सारी, डॉटर इन लॉ को, आप दिन भर किचन में बैठा कर, बावर्ची बना दो!!.....आप तो, किसी सोसाइटी में आती जाती नहीं है और हम लोगो को भी घर में बंद करने में लगी रहती है!! .. माय फुट!! ....अरे फ्रीज़ में सालाद रखा है, खुद भी खा लेना और डैड को भी दे देना , इससे आप दोनों का, शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों ही कण्ट्रोल में रहेगा ...और हाँ.... और शाम को सिर्फ सूप बनाना और उसके साथ मल्टीग्रेन ब्रेड जरुर ले लेना .... आप वैसे तो हेलथी खाती भी कंहा है? .. अगर मैं आपका ध्यान ना रखूं तो... ना जाने आप कब की ऊपर....अब खाना बनाने के लिए, बार बार मुझसे न पुछा करे... खेर छोड़ो जाने दो ..टेक केयर! ..बाय! बाय ! ....अरे केपी  यार जल्दी चलो.... तुम्हारी यह ओल्ड फैशन माँ, कंही मेरे दिमाग का दही ना कर दे!! ...
बेटा (केपी ) .....अरे माँ.. तुझे जो खाना है, खा! ...प्लीज ,हमारी लाइफ में दखलंदाजी मत कर!... यह आखरी बार है.. वरना.... आप लोग, अपना खाना पीना अलग कर ले .....चलो , डेज़ी डार्लिंग !!!गाड़ी तुम चलाओगी या मैं चलायूँ??

सास (पुरानी बहु पूजा )...... मेने पहले ही कहा था की इतना मत सर चढाओ .. अब देखकर  ..बोले थे... अरे नए ज़माने की बहु है... उसे बेटी  समझो ...लो देख लो अपनी परायी बेटी के कर्म ... अब मुझसे मत कहना की खाने में क्या बना है? ...
 पिताजी(डब्बू )--- अरी भाग्यवान, क्यों नाराज होती हो! ... इतने सालो से,तो , मैं ही तो पकाता आ रहा हूँ .. फिर,आज कौन सी नयी बात थी!!....जो तूने बर्र के छत्ते में हाथ डाला??? ....

सास (पुरानी बहु पूजा )......अरे आप भी ना... कभी भी, समझदारी की बाते नहीं करते??.... आज इतवार का दिन है ..सिर्फ आज का ही तो दिन मिलता था... जब आपकी माँ से, दो तू-तू ,मैं-मैं करके, छुट्टी मना लेती थी .... अब वोह तो रही नहीं ....यह नए ज़माने की बहु ,सास और बहु का रिश्ता समझती ही नहीं?? अब इससे सर ना फोडूं तो क्या पड़ोसियों से जाकर लडू... माय फूट!! ...
 जाओ जाकर किचन में खाना बनाओ .. बहुत तेज भूख लग रही है ..... और सुनो फुल्के ठीक से बनाना  इतने साल हो गए इक फुल्का तक नहीं बना सकते !!....और बाते करेंगे बड़ी बड़ी !!


By
Kapil Kumar 

Note :-यांह पर पगट विचार निजी  है इसमें किसी कि भावना को आहात करने का इरादा नहीं है….. 

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