Saturday 7 November 2015

जन्मदिन का केक !!




शायद हम में से ही कोई ऐसा हो जिसने अपने जीवन में कभी किसी का या अपना जन्मदिन मनाया या मनवाया ना हो ?.... जन्मदिन पे सबसे मजेदार और उत्तेजना की चीज होती है जन्मदिन का केक ?

बच्चे हो या जवान या बुजर्ग सब इसी इंतजार में रहते है ...की ...केक कितना बड़ा है ? केक कब कटेगा?.....अगर गौर से देखे तो आप पाएंगे जन्मदिन मनाना भारतीय संस्कृति में काफी  पुराने समय से होता आया है ...पर आश्चर्य की बात यह है ...की ....इतना सामान्य होते हुए भी ...क्यों यह पिछली पीढ़ी के भारतीय मानस के आम जीवन में अधिक महत्वपूर्ण ना था?

मुझे यह सोच कर हैरानी इस बात की होती है ...की ...मेरे घर में कभी भी मेरे सगे भाई बहन या चचेरे या ममेरे किसी का भी जन्मदिन कभी नहीं बना और तो और जिस मोहल्ले में मै पला बढ़ा था ..वंहा पर भी बचपन में ..मेने कभी किसी को जन्मदिन मनाते हुए नहीं देखा ....हाँ कुछ लोग जो अति सम्पन्नता की श्रेणी में आते थे ..उनके घर हमें यह सौभाग्य जरुर प्राप्त हुआ ..उस ज़माने में यह सब अमीरों के चोचलो में गिना जाता था ...

पर सोचने वाली मजेदार बात यह है ...की.. हमारे मोहल्ले और घर परिवार के सभी सदस्य .... बड़ी श्रद्धा से जन्म अष्टमी .... राम नवमी जरुर मनाते थे और है ?

मैं बचपन में जब कभी किसी का जन्मदिन देख कर या मनवा कर घर आता तो अपनी बाल सुलभ मासूमियत से अपने घर में यह सवाल जरुर करता... की .... हमारे घर में किसी का  जन्मदिन क्यों नहीं मनाया जाता ?तो हर बार की रह ..मेरी दादी ...चाची ...माँ या चाचा ..का इक ही जवाब होता ...

अरे बावले यह तो अंग्रेजो के शौक है .....भला आम हिन्दुस्तानियों का इसमें क्या काम ?

अब उन्हें कौन समझाता .. अगर यह अंग्रेजो के शौक है ..तो आप काहेजन्माष्टमीऔर  “रामनवमीके लिए पूजा और व्रत रखते हो ...बस मेरी इस बात से सब जल भून जाते और तपाक से मुझेजुबान लड़ाने” , “बदतमीजी करनेऔर बड़ो की इज्जत ना करने वाले इक ऐसे बच्चे की उपाधि प्रदान कर दी जाती ... जिसमे बड़ो के लिए कोई आदर भाव ना था ...पर मेरा बालमन उनके इन आरोपों को सिरे से नकार देता ....

शायद यंही से मुझे हर मामूली या गैरमामूली चीजो को देखने और परखने की आदत सी पड़ गई .....जिसे उस ज़माने में और शायद आज भी लोग मीन मेख निकलना कहते है ...खेर.. कालांतर में मेरी इसी आदत ने समाज में निभाए जाने वाली परम्परा पे इक प्रशंचिनह लगा कर .....इक नए विवाद या उसके अस्तित्व को जन्म दे दिया ....शायद आप लोग ब्लॉग में इसे पढ़ कर समझ पाए ...

अभी कुछ दिन पहले मुझे अपने किसी विदेशी परिचित के बच्चे के जन्मदिन की पार्टी में शरीक होने का मौका मिला .... आज से पहले ना जाने मेने कितनी बार जन्मदिन मनाया या मनवाया था .... पर इस बार के जन्मदिन की पार्टी ने इसकी इक परम्परा पे प्रशनचिंह लगा दिया ?

उस दिन बच्चे और बड़े सब जन्मदिन की पार्टी में वयस्त थे ....बच्चो के लिए जादूगर तो बड़ो के लिए पीने पिलाने के इंतजाम के साथ सबके लिए खाने का प्रोग्राम था ... उसके बाद शाम को केक काटने की रस्म होनी थी ...

जिस परिवार में जन्मदिन की पार्टी का आयोजन था ..उन्होंने काफी पैसा खर्च कर कई तरह का खाना और साथ में इक बहुत ही बड़ा केक मंगवाया था ... जन्हा खाने की टेबल सजी थी वन्ही इक अलग टेबल पर केक ...सलाद और सैंडविच की सब्जियां , बिस्कुट ,मुफीन ,चिप्स, ड्रिंक्स  और ब्रेड  से दूर अलग राजा  की तरह सजा धजा बैठा महफ़िल की रोनक बढ़ा रहा था ...

केक की इतनी सजावट देख ...उस वक़्त सारे पकवान और कहने की वस्तु मन ही मन केक की किस्मत और ठाट बाट देख उससे इर्ष्या कर रहे थे ...

खाने के वक़्त जब मैं खाना लेने के लिए आगे बढ़ा ..तो देखा इक बच्चा आया और अपनी प्लेट में सैंडविच वाली सब्जीयां डालने लगा ...सब्जी डालने के बाद उसने ब्रेड को चिमटे से पकड़ने की कोशिस की ..पर चिमटा इतना सख्त था ..की.. उसके दबाये वोह ना दबा ...बच्चे ने भी ज्यादा हाथ पैर ना चलाये और झट पट हाथ ... ब्रेड की ट्रे में डाला और उसमे से ब्रेड उठाली ....की .. उसके हाथ में तीन चार ब्रेडइक साथ आगई ..उसने इक ब्रेड को अपनी प्लेट में रख बाकी ...की ब्रेड को वापस ट्रे में रख दिया....

मैं उसकी यह हरकत देख रहा था .... अभी मैं उससे कुछ कहता ...की ..मेरे पीछे खड़ी इक अधेड़ उम्र की विदेशी औरत मुंह से बुदबुदाई ..”वेरी डिसगसटिंग”.....और फिर मेरी तरफ मुखातिब होकर बोली ... अब इन ब्रेड को कौन खायेगा? .... इसने तो सारी ब्रेड को ख़राब कर दिया ...लगता है सारी ब्रेड को फैंकना पड़ेगा ?

मैं बोला कोई बात नहीं ..जो जो ब्रेड उसने छुई है उन्हें फैंक देते है और बाकी ट्रे में जो है उनसे हम ले लेते है ... उसने बड़ा बुरा सा मुंह बनाकर बोला ..पर अब तो सारी ब्रेड उसके जर्म से इन्फेक्टेड हो गई है... मेने बच्चे के छुई वाली ब्रेड ट्रे से निकाल ..कचरे के डब्बे में डाल दी ...

फिर भी उस औरत ने बड़े कल्पते हुए इक ब्रेड ट्रे से ली ....फिर उस बच्चे और उसकी जात-बिरादरी को कुछ देर तक कोसती रही ....

की लोगो में ..कोई तहजीब नहीं है ....माँ बाप अपने बच्चो को ..कोई सभ्यता या पार्टी में वर्ताव करने का तौर तरीका नहीं सिखाते ?....

उसकी बाते काफी हद तक सही थी ... मेरा भी मन पहले हुए कुछ अनुभवों से और कुछ बच्चो की इसी तरह की हरकतों से कैसेला हो चूका था ...

पर शायद कुछ माँ बाप को अपने बच्चो का झुटा या गंद किया हुआ खाना खाने की इतनी आदत हो जाती है ..की उन्हें दुसरो के लिए इन मामूली सभ्यता का याद तब तक नहीं रहता ..जबतक ..वोह खुद किसी के घर..यह सब झेल कर नहीं आते .......

खेर बात आई गई हो गई ...बाद में पता चला .... वोहबर्थडे बॉयकी बहुत ही करीब मौसी थी ..... शाम होने पे वोह अहम् पल भी आगया ..जिसका इंतजार ... जन्मदिन की पार्टी में में आए हर मेहमान को होता है .....

सारे बच्चे ख़ुशी में केक के इर्द गिर्द मंडरा रहे थे ..कुछ छोटे बच्चे ललचाई नजरो से आँखों ही आँखों में केक को हजम करने का प्रोग्राम बना रहे थे ..तो.. कुछ बच्चो ने लोगो की नजरे बचा कर मौका देख केक की साइड में लगी आइसिंग पे अपनी ऊँगली छुवा कर चाटली थी और दुसरे बच्चो में केक के स्वादिस्ट होने की मुनादी पहले ही कर दी थी ...

काफी सारी औपचारिकताओ के बाद ...बच्चे के जन्मदिन की शुभ कामनाओ वाले गीतों का इक लम्बा दौर चला और फिर कई सारी मोमबत्तियां केक पर सजा दी गई ...सारे बच्चे ..बड़े इक घेरा बना कर केक के चारो तरह खड़े हो गई ..काफी सारी तालियों और गीतों के बाद ..बच्चे की माँ और मौसी ने ..केक पर लगी मोमबत्तियां जला दी और इक बड़ी सी छुरी बच्चे के हाथ में पकड़ा कर .... केक काटने की रस्म की शुरुवात हुई ...

मेहमानों के जन्मदिन गीत के गुंजन के साथ ही ..बच्चे ने इक जोर सी फूंक केक पे लगी मोमबत्तियों पे मारी ... मोमबत्ती कुछ बुझी ..कुछ जलती रही ...मोमबतियां बुझाने के लिए बच्चे ने ..इक नहीं कई सारी फूंके बार बार मारी ....

अरे यह क्या ... उसने फूंक क्या मारी ..मेरी आँखों ने जो देखा वोह तो बहुत ही विभिट्स था ...

बच्चे ने मोमबतियां बुझाने के चक्कर में केक के ऊपर अपनी थूक भरी फुंकार कई बार मारी थी ... उसकी यह फुंकार केक के ऊपर सजी आइसिंग पे ओस की बूंदों की माफिक अच्छी तरह से पड़ कर केक की शोभा बढ़ा रही थी ... इसे देख मेरा मन कैसेला हो गया ... मैं अपनी उबकाई को किसी तरह रोक वंहा से हट गया ...

बच्चे , जवान और बुजुर्ग हाथ में प्लेट लिए केक का आनंद ले रहे थे और मैं इक कोने में खड़ा उनके खाने के आनंद से कुछ और आनंद ले रहा था ...की ..अचानक मेरी नजर इक औरत पे पड़ी ...यह  वही औरत थी ....जिसे कुछ देर पहले बच्चे के ब्रेड को छूने भर से अति नाराजगी थी .. अब मेरे सामने इक प्लेट में केक लेकर ....उसे बड़े मजे ले लेकर खा रही थी ...

मेरे हाथ में केक ना देख वोह मेरे पास आई और बोली अरे आपने केक लिया ही नहीं .... चलिए .... मैं आपके लिए केक लेकर आती हूँ और ऐसा कह वोह केक का इक बड़ा टुकड़ा केक में से काटकर पलेट में सजा कर मेरी तरफ आने लगी ....इससे पहले ..वोह मेरी तरफ आती ..मैं भीड़ में कंही गुम हो गया .....वोह मुझे ढूंडती रही और मैं उसकी नजरो से अपने को बचाए पार्टी में इधर उधर छिपता रहा ....

घर आने पे सारी घटना इक बार फिर से मेरे मस्तिष्क में घूम गई .... मुझे यह समझ नहीं आया .... जब हम हाथ के छूने को अवॉयड करने के लिए चिमटे से रोटी या फल या सलाद पकड़ते है .... जो की इक अच्छा और स्वास्थदायक तरीका भी है और हमें ऐसा करना भी चाहिए .....

फिर जन्मदिन के केक के नाम पे ... खाने की चीज पे थूकना या फूंकना और फिर लोगो को देना किस श्रेणी में आता है ?

क्या जन्मदिन की पार्टी में केक पर लगी मोमबती को फूंकने के चक्कर में केक पर फूंकना या थूकना कितना सही और हायजेनिक है ? खासतौर से बच्चो या बुजुर्ग या उन लोगो का ...जिनका बात बात पे थूक मुंह से झड़ता है ?

कोई कितने भी सलीके से मुंह से फूंक कर मोमबतियां बुझाये .....फिर भी कोई आपके खाने में इस तरफ से फूंक मारे .... तो... क्या आप उस खाने को खाना पसंद करेंगे ?

मुझे औरो का तो पता नहीं .... पर उसदिन के बाद से मैं किसी भी जन्मदिन की पार्टी में जन्मदिन वाला केक नहीं खाता और अपने घर में हुई जन्मदिन की किसी भी पार्टी में मेहमानों को दिए जाने वाले केक को काटने वाले केक से अलग रखने की कोशिस अवश्य करता हूँ .... तब खासतौर से ... जब हमने घर में कोई मेहमान बहार से बुलाया हो ...

अगली बार जब आप जन्मदिन पर केक काटे या किसी के यंहा कटता हुए देखे ..तो इस बात पे अवश्य विचार करे... की क्या हमें इस अंग्रेजी सभ्यता का पालन इसी तरह से करना चाहिए?...

क्या केक पे मोमबतियां लगाना और फिर उन्हें फूंकना सही है या नहीं ??

Note: यंहा पर किसी भी समुदाय विशेष की भावना को आहात करने का इरादा नहीं है ....यह इक कोशिस है की ..हम कुछ करने से पहले सोच भर ले ...“




By

 Kapil Kumar 

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