Saturday, 7 November 2015

दुल्हन तैयार तो दूल्हा गायब है (हास्य व्यंग) !!

स्टेज से पर्दा हटता है और सामने ......

शीतल बहन  का दरबार सजा है ....कुछ हारे हुए तो कुछ जीते हुए योद्धा अपने अपने आसनों पे विराजमान है ....बहन जी अपनी ताज़ा हार की समीक्षा कर रही है ...की ...हार तो निश्चित थी ...पर जिसके लिए हारे वोह क्यों बेगाना हो गया ?......कुछ चेहरे ग़मगीन ...तो कुछ चेहरे असमज में है ...की करे तो क्या करे ?
बहनजी ने इक लंबी हुंकार ली और बोली ...अरे खट्टर जी ...क्या हुआ लडको को भेजा नहीं ...की झाड़ू वाले दामाद जी कब आयेंगे ?

इक खद्दरधारी भूतपूर्व चमचा और हारा हुआ योद्धा बोला .....बहन जी ......मुझे तो शक लागे ....जिस घोड़े पे आपने दावं लगाया था ..कंही वो लंगड़ा तो ना था ?....अब आपने राजधानी की कुर्सी उसके आगे सजा के रख दी ...फिर भी ना जाने कहाँ छिपा है ?

शीतल बहन की त्योरी टेढ़ी हो गई और हड़का कर बोली ...अरे भल्ला जी ..मुंह संभाल कर बात करे ..वोह हमारे होने वाले दामाद है ..उनके बारे में हम इक शब्द भी नहीं सुनेगे .....समझे ...

भल्ला जी का मूड तो बहुत हुआ की ..कुछ बोले पर अपनी राजनितिक जवानी पे दया खाकर चुप होगये और दबी आवाज में बोले ...पर बहनजी आपने सगाई के वक़्त दहेज़ में....अपने  होने वाले दामाद टोकरीलाल को क्या क्या नहीं दिया?

अब नॉएडा में उन्हें लाइम लाइट करवाया ...वंहा उन्होंने अपना पहला नुक्कड़ नाटक खेला ...जो बुरी तरह से पीट गया था ...आपने पुलिस के हाथ पिटवा कर उन्हें हीरो बनाया ....जब वंहा से भी बात नहीं बनी तो .. जेल में उन्हें कुछ घंटे बैठा कर....इस देश के महान क्रन्तिकारी और स्वतंत्रता सेनानी की उपाधि मीडिया से दिलवाई .....जब इन सबसे भी उनके करियर की गाडी ना चली ...फिर आपने उन्हें जंतर मंतर पे नाटक करने दिया ...की जोकपल लाओ और भ्रस्ताचार मिटाओ ....अब आपने यह दया ...बेचारे बाबा पे तो ना की थी ...अब इतने सारे दहेज़ के आइटम के बाद भी उनका पेट नहीं भरा ...और वोह और मांगते गए और आप और देती गई ... मुझे तो हैरानी है ...की आपने उन्हें अपने पक्के भक्तो के कच्चे चिट्टे तक खोल के दे दिए ...की दामादजी इक बार किसी तरह ...हमारे खानदानी बिज़नस में सेट हो जाए ...अब जब सब कुछ सेट हो गया ...फिर अब ..वोह काहे पीछे हट रहे है ?

बहनजी ने हुंकार भरी और चेले को डांटते हुए बोली ...अरे भल्ला तुम भी ना अनाड़ी के अनाड़ी रहोगे ...अरे हमने जिस बिटिया(डेल्ही की इकोनोमी) को १५ साल पाल पोस के बड़ा किया ..उसके नाज नखरे उठाये ..अब भला उसे किसी ऐरे गैरे के पल्ले बांध देते ? अब अपनी ही बिटिया है...बात लाखो की होती तो भी चल जाती यंहा तो बिटिया का इक साल का खर्चा ही कई हजार करोड़ है ...तो.. दामाद भी तो अपना जांचा परखा होना चाहिए की नहीं?..... वोह बिटिया का भी ख्याल रखे और हमारे कारिंदे जो इतने सालो से अपनी वफादारी का सबूत दे रहे है ..उन्हें भी सेवा का मौका मिलता रहे ...

अचानक इक सरदारजी का आगमन होता है ..वोह बहनजी को प्रणाम करते है ...की बहन शीतल उतावली होकर पूछ बैठती है ...हाँ पप्पीजी आप दामाद टोकरीलाल से मिले की नहीं?....कंही वो झाड़ू लगाने तो नहीं चले गया ....सुना है आजकल रात में भी झाड़ू अपने पास रख कर सोते है ...

पप्पी सिंह ....बहन जी मिला ...बिलकुल मिला जी ...बड़े दिल और गले लगाकर मिला ..मेने तो उन्हें आपका निमत्रणपत्र भी अपने हाथो से दिया की... कल कंही वोह यह ना कह दें ..अरे मुझे तो मेरी शादी का कार्ड ही नहीं मिला .....मैं दूल्हा कैसे बनता ?
बहन शीतल ....वोह तो ठीक है ..पर दामादजी आए क्यों नहीं? ..अब क्या स्यापा डाल के बैठे है ...कल तक सडक सडक घूम चिल्ला रहे थे ...मेरी शादी कराओ ..तो मैं भी १२ बच्चो का बाप बनके दिखला दूँ ...कंही केसरिया वालो ने तो नहीं फंसा लिया उन्हें ....???
पप्पी सिंह ....ओह नहीं बहनजी ..स्यापा यह नहीं पैया..दामाद टोकरीलालजी अब नयी रट लगा रहे है ..कह रहे है ...मुझे शादी की गारंटी चाहिए ..की आप अपनी लड़की को भगा कर तो नहीं ले जाओगे , कंही मुझपे दहेज़ का केस तो नहीं डालोगे ? उसकी गारंटी मांग रहे है ...

बहन शीतल ....अब यह टोकरीलाल कौन सी नयी क्रांति ला रहा है ....जो इसे अब नयी गारंटी चाहिए ...कल तक भोंपू लिए चिल्ला रहा था ...की बस इक मौका देदो ....मै चोक्के , छक्के लगा दूंगा ...अब जब मौका आया है ..तो इससे बल्ला भी संभलता नहीं लग रहा ...अरे देदो उसे जो चाहिए.... लगता है हमने ही घोडा धुंडने में गलती कर दी ....

पप्पी सिंह .... बहनजी..बात इतनी सीधी नहीं है ...मामला तो शादी के फेरो के मंतर का है ..दामाद टोकरीलाल ने अपनी शादी के लिए खुद १८ मंतर लिखे है और बोले है ....जब तक आप इन्हें नहीं मानती ....वोह घोड़ी पे नहीं चढ़ेंगे और ना ही बारात लेकर आयेंगे ?

बहन शीतल ....अरे पप्पी ....किस से पला पड गया ...इक तो इसे हमने ढेर सारा दहेज़ सगाई में दिया ....अब महीने के लिए अपनी प्यारी दुलारी कमसिन कन्या ..जो इतने नाजो से पली बढ़ी करके दे रहे है ..अब इसे फेरो का भूत काहे चढ़ा है? ..अरे घर आजा और लड़की लिवा के ले जा ... काहे की दिखावे की शादी के ताम झाम में हमें भी फंसा रहा है और खुद भी फंस रहा है.....यह टोकरीलाल ... खुद कुछ करेगा और ना किसी को करने लायक छोड़ेगा ...अरे लड़की ले और मजे कर .....अरे शादी की कुछ मिठाई हमें भी खाने मिले ...

चमचा भल्ला --- बहनजी मैं तो पहले ही बोला था ..कोई बढ़िया सा दामाद देख लो ..पर आप ही बोली थी..पढ़ा लिखा है ... अभी तक किसी की सोहबत का बुरा असर नहीं है ..जैसे चाहेंगे वोह नाचेगा ..अब यह तो हमें ही नचा रहा है ...

बहन शीतल ....ओय भाल तू चुप कर ...हाँ पप्पी तो मान लो टोकरीलाल की बात ...कौनसी बड़ी बात है ..करने दो फेरे अपनी मर्जी के ....इसे पता ही नहीं अरे यह मंतर जन्तर से रिश्ते थोड़ी ना बनते है .....वोह तो मौके की नजाकत देख बांटे है ...हमें तो इससे मतलब है बस हमारी लाडली फल फूलती रहे ...केसरिया की बुरी नजरो से बचे ....पता लगा हमारे टोकरीलाल को ..कंही फूल वाले ....फूल देकर कंही फूल ना बना दे....अगर भगवा वालो के हाथ लग गई ....तो हमारी फूल सी कन्या ...नाजुक कलि से गोभी के फूल में बदल जायेगी ...हाँ तो पप्पी क्या है ..टोकरी लालजी के मन्त्र ...???

पप्पी सिंह ....जी  मंतर वंतर कुछ नहीं है ..बस यह है ...की मैं आपकी लाडली के बच्चो को बोतल का ही पानी दूंगा ....उन्हें शरारत नहीं करने दूंगा , आपको भी मेरे साथ हसना होगा जब ..मैं आपकी लाडली को जोकपल का जोके सुनायुंगा....मैं हनीमून यंहा बनायुन्गा ..आदि आदि ...

पप्पी सिंह जैसे जैसे ....टोकरीलाल की दी हुई लिस्ट से मन्त्र पढता ....वंहा बैठे पेशेवर पंजा लड़ाने वालो की हंसी फूट पड़ती ....

इक हरयाणवी चमचा बोला... बहन जी यह टोकरीलाल आदमी भी है या नहीं? ..मुझे तो शक लागे ...अरे मर्द होकर ऐसी शर्तो की बात करे ..जिन्हें हर आदमी ..अपनी जोरू के साथ खुद ही कमरे में निबटा ले वे है और यह पूछ रहा है ....की मैं सुहागरात कैसे बनायुं?....मेरी सुहागरात में दखालान्दंजी तो ना करोगे ...अरे हो...बावले जब तू कुछ ना करेगा ....तो हमें ही कुछ कुछ करना पड़ेगा की नहीं ..अब इसे कौन समझाए ....की थोड़ी जोर जबर्दस्ती तो मर्द ने करनी पाडे ही है .... .....हा हा...

बहन शीतल ....ओय चुप कर खोते ....ओय तेरे को अक्ल नहीं ....अरे ढक्कन ...वोह अपना ही प्यादा है ..बस दूसरी बिसात पे बैठा है... तो डर रहा है...हो सके ...जनता को दिखा रहा हो ..भाई देख लो मैं तो बाल ब्रह्मचारी हूँ ..आप लोगो की सेवा के लिए ही मैं इस बदनाम लड़की से शादी के लिए तैयार हुआ .... 

पप्पी सिंह ....बहन जी ...हमने तो अपनी तरफ से खुल्ली छूट दे दी है ...भाई ....यो.....कुड़ी (डेल्ही )तेरे नाल सी ...अब तू उससे मंतर पढ़ के हनीमून बना या लिविंग करके ....पर उसे तू हमारे घर से विदा करके ले जा ...

बहन शीतल .... सरदारजी ...तुसी बड़ी जल्दी में रहंदे हो ...अरे जब तक टोकरीलाल ....घोड़ी चढ़ कर पूरी बारात (विधायक) नहीं लाता...तब तक बेचारे बैंड (ब्रिज ) , कैटरिंग (सडक ) , बिजली , पानी आदि वाले कैसे अपना अपना काम आगे बढ़ायंगे ...अरे बिना बारात के ....कौन उनका खर्चा उठाएगा ....अब हमने तो सबसे एडवांस ले रखा है ...यू टोकरी लाल कंही हमारी इज्जत नीलम ना करा दे ...अरे उसे मनाओ ...

पप्पी सिंह .... बहनजी ..तुसी ठण्ड पाओ ...यू ना ..शादी से पहले का बुखार है ...अभी टोकरी शादी की ख़ुशी में बौरा गया है ...जरा अपने रिश्तेदारों में जायेगा ...तभी इसे समझ में आएगा ..की कैसे इसकी मौसी , मामी , बुआ और भाभी ...जिनसे इसने बड़े बड़े वादे किये है ...शादी में यू दूंगा और वो दूंगा ..वोह इसकी अच्छी खबर लेंगी ...की तू चुपचाप शादी कर ..नहीं तो तेरी अगली बार झाड़ू से पिटाई हम कर देंगे ....तभी इसकी अक्ल ठिकाने आएगी और यह आपके पावं पकड़ेगा ....की मेरा हाथ पकड लो ...

टोकरीलाल के ऑफिस में सभा हो रही है ...

टोकरीलाल ....हाँ तो भाइयो ..अब हमें बारात की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए की नहीं ?
सब चमचे इक साथ ...अजी देर किस बात की ..हम तो भूखे बैठे है ..कब बारात चले और हम पकवानों पे टूटे .....

टोकरीलाल ....अबे गधों..तुम्हे इतना समझ में नहीं आता..अरे अब तुम सरकारी बाबु नहीं हो ...जो चाय पानी लेता है ...अब तुम शाही घराने के लोग हो ..थोडा संभल के ...चीजे उठाना ..कंही बारात रुसवा होकर वापस ना आजाये ..और लोग समझ जाए अरे यह तो नकली शादी थी ...हा हा ..

By

Kapil Kumar 

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental”. The Author will not be responsible for  your deeds.


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