स्टेज पे एनाउंसर ने घोषणा किया ...इस साल का बिज़नस एक्सीलेंस अवार्ड “कुमार कंसल्टिंग “ को जाता है ..मेरी Mr कुमार ..जो इस कंपनी के डायरेक्टर से रिक्वेस्ट है ..कृपया स्टेज पे आकर इस आवार्ड को ले .....
चारो तरफ तालियों की गूंज उठने लगी और स्पॉट लाइट Mr कुमार को ढूंडते हुए ..कपिल के चेहरे पे आकर रूक गई ...उसके साथ बैठी रागनी जैसे ख़ुशी में झूम उठी... उसने कपिल को गले लगाया और उसके मस्तक को चूम लिया ....
कपिल भारी कदमो से चलता हुआ स्टेज पे गया और बेजान कठोर आँखों और फीकी मुस्कान के साथ एनाउंसर का शुक्रिया अदा कर ..अवार्ड को बस उठा भर लाया ...जन्हा रागनी ख़ुशी में झूम रही थी ...वंही कपिल की सुनी आँखे ..जिसे धुंड रही थी ....वो तो उसका साथ छोड़ कबका इस दुनिया से जा चुकी थी ....
उसकी यादो में खो...गुमसूम कपिल की आँखों में कुछ आंशु.... ना जाने कान्हा से चले आये ...दुनिया की नजरो से बचाने के लिए उसने अपने चहरे पे इक काला चश्मा लगा लिया ...और उस अंधरे ने उसे अपनी जिन्दगी के उसे अंधरे में धकेल दिया ..जो अँधेरा होते हुए भी इस चुंधियाती रौशनी से कंही साफ़ सुथरा और खुशनुमा था ...
सर्दियों के दिन थे ....धूप अपने पुरे योवन पे थी ....कॉलोनी के बच्चे इस खिलखिलाती धूप का आनंद लेते हुए ...कॉलोनी के इक खाली प्लाट पे क्रिकेट खेल रहे थे .....उनको क्रिकेट खेलता देख कपिल का बाल मन मचल उठा और वोह अपनी माँ गीता से बोला ....माँ मैं बाहर क्रिकेट खेलने जा रहा हूँ ....गीता कुछ बोलती उससे पहले ही कपिल घर से बहार जा चूका था ....
गीता खांसती और कंपकपाती आवाज में उसे रोकती रह गई ...की बेटा ..
इन लोगो के साथ क्यों खेलने जा रहा है ....यह तुझे अपने साथ नहीं खिलायंगे....
कपिल ....गीता के जीवन का इक मात्र सहारा था ..जिसकी उम्मीद पे वोह अपने मरियल और जज्जर होते शरीर को ....तपेदिक जैसी जान लेवा बीमारी के बावजूद ढो रही थी.....
की.... किसी तरह कपिल बड़ा होकर अपने पैरो पे खड़ा होजये... तो वोह भगवान के पास ख़ुशी ख़ुशी चली जाए ....होने को तो गीता सुहागन थी ..पर उसका मर्द अनुपम सिर्फ ना का अनुपम था ..उसने ना तो कभी घर घरस्थी , गीता और कपिल की जिम्मेदारी ली और न ही उसे उनकी कोई फ़िक्र थी ....सिर्फ अपनी मौज और लालपरी के नशे में मस्त ....वोह घर को इक सराय समझ रात में खाना खाने आजाता और गीता के मुफ्त के शरीर को तोड़ ....इधर उधर पसर कर सो जाता ....
अनुपम तो सो जाता अपनी मस्ती में ..और गीता के पास रह जाती वोह सिसकिया ....जो सारी रात उसकी सौतन बन उसे सोने ना देती ....बस किसी तरह से वोह कपिल को देख अपने दुःख दर्द भूल... जीवन की नाव को किसी किनारे लगाने के लिए जी भर रही थी ....
किसी ज़माने में गीता का मादक योवन अपने पुरे उफ्फान पे था ....तब पुरे मोहल्ले के लड़के उसकी इक झलक पाने के लिए दिन रात उसके घर के बहार अपनी एड़िया रगडा करते थे ...पर वोह उनके ऊपर निगाह तक ना डालती थी ..पर नियति के विधान ने उसे अनुपम जैसा मर्द दिया जिसने उसे १० साल के विवाहित जीवन में २० साल की इक कोमल नाजुक कली को ..इक सूखे ठूंट भर में बदल कर रख दिया ......
कपिल बड़े जोश में बहार खेलने आया ..उसे आया देख ....उन बच्चो में से इक बच्चा जिसका नाम पुनीत था बोला ..”लो भिकारी आगये खेलने” ....
अबे तू क्रिकेट खेलने आया है तो क्या लाया है ...
बैट या बॉल या विकेट या पैड ....या ठण ठण गोपाल ...और ऐसा कह सब बच्चे उसपे हसने लगे ....
इतने में संजय बोला अरे ..इस बेचारे पे क्या है ..चल इसे फील्डिंग ही करवा लेते है ..उसमे कुछ नहीं चाहिए .....चल इसका भी कुछ भला हो जायेगा ....
तभी वीनू बोला ....बस फील्डिंग ही करवाना ..बोल्लिंग या बैटिंग नहीं ...बोल तुझे मंजूर है .....
अब मरता क्या ना करता ..कपिल ने सोचा जो मिल जाये वोह ही ठीक और उन बच्चो के साथ खेलने लगा ...पुरे दिन भाग दौड़ करने के बाद भी उसे ना तो बाल फैकने को मिली ना ही बल्ला छूने को ....उसका बाल मन अपनी माँ गीता पे सोच सोच के गुस्से में आता की ..वोह उसे कुछ भी खरीद के क्यों नहीं देती? ....
शाम ढलने लगी और सब बच्चे वापस अपने अपने घरो की तरफ जाने लगे ..की रास्ते में बच्चो ने सोचा क्यों न कपिल को थोडा और छेड़ा जाये ...
तो पुनीत बोला ..अरे हम लोग सब आज शाम को दशहरा के मेले में जा रहे है .....
तभी संदीप बोला ..अबे किस फटीचर के सामने मेले की बात कर रहे हो ...
.........इसके पास रोटी तक का जुगाड़ नहीं ..यह मेला क्या जायेगा ??....
वैसे भी इसका बाप पड़ा होगा किसी दारू के ठेके पे या किसी के घर ताश पीट रहा होगा .....
वीनू बोला और बेचारी माँ ..उसकी तो हड्डी भी इस काम की नहीं की इसे कंही ले जा सके ..और ऐसा कह सब बच्चे कपिल पे हसने लगे ...
अपनी सुनी आँखों और मुरझाये चेहरे से कपिल घर में घुसा ..और सीधा गीता के पास जाकर उसे शिकायत करने लगा ..की ..
क्यों उसका बाप ओर बच्चो के बाप जैसा नहीं? ..
क्यों उसे दुनिया के ताने सुनने पड़ते है ?...
क्यों ….सिर्फ पुरे मोहल्ले में वो ही गरीब है ?...
गीता के पास कपिल के प्रश्नों का कोई सही उतर ना था ..उसने सिर्फ इक आह भरी और उसे दूसरी बातो में उलझाने लगी ...पर कपिल तो.... आज जैसे ठान के आया था ..की वोह यह जान कर ही रहेगा ..की उसमे और दुसरे बच्चो में क्या फर्क है?.....
कपिल को जब गीता से सही जवाब ना मिला तो ..उसने कहा ठीक है ..तुम मुझे कुछ मत दो ..पर आज मुझे और बच्चो की तरह मेला घुमने जाना है ...गीता के बेजान शारीर और सुखी हड्डियों में इतनी ताकत ना थी ..की वोह कपिल को कंही बहार ले जाती ..उसपे मेला घुमने के लिए 5/7 रुपया का खर्चा अलग था ..जो उनके दिन भर का राशन के बराबर का खर्चा था .....
पर कपिल की जिद ने गीता को हरा दिया ..और किसी तरह जी कड़ा कर वोह उसे मेला घुमाने ले आई .....
मेले में आकर कपिल का बाल मन मयूर की तरह झूमने लगा ...उसके चेहरे पे आई ख़ुशी देख ..गीता भी अपने दुःख दर्द जैसे भूल गई ..बेजान होते उसके शरीर में जैसे नयी जान सी आगई ....पर उसकी यह ख़ुशी ज्यादा देर ना रह सकी ....
खिलोने की दुकान के बहार खड़ा कपिल ..बड़ी ललचाई नजरो से लटके हुए उन रंग बिरंगे खिलोने देख रहा था ..उसके चहरे पे आते भाव देख गीता का मन अनजाने डर से बैठने लगा ...
कपिल ने बड़े मचलते हुए गीता से कहा ....
मुझे भी इक खिलौना खरीद के दो ना .....कपिल को बातो में फुसलाते हुए गीता बोली .....अरे खिलौने क्या लोगे.... तुम तो बड़े हो गए हो ....तुम कोई छोटे बच्चे थोड़ी ना हो .....चलो कुछ और चल के देखते है ...
कपिल गीता की बातो में आ ..मेले में अपना ध्यान बटाने लगा ....
की उसे इक गुब्बारे वाला दिखाई दिया ..उसने अपनी जिद फिर गीता से की ....
इस फिर गीता ने उसे बहला फुसला कर कहा ...अरे पहले पूरा मेला देखलो ....उसके बाद जो कहोगे ....वोह खरीद दूंगी ....
गीता मन ही मन सोच रही थी ....जब तक कपिल मेला देख कर निबटेगा....वोह थक जाएगा और उस वक्त उसकी जिद इतनी तीव्र नहीं रहेगी और वोह उसे बिना कुछ खरीदारी कराये वापस घर ले आएगी ....
मेले में स्त्री-पुरुष , बच्चे-बुजुर्ग ...सभी नयी नयी पोशाको में थे ..किसी बच्चे के हाथ में खिलौना तो , कोई गुब्बारे पकडे खड़ा था ..कोई किसी दुकान पे मिठाई कह रहा था .... तो कोई झूले पे झूल रहा था ...
सिर्फ कपिल ही उस भीड़ में ऐसा था .....जो सिर्फ अपनी माँ की ऊँगली पकडे ..अपनी इछाओ को अपने कदमो तले रोंद्ता हुआ ..आगे बढ़ रहा था .....
.काफी बार मांगने पे भी जब उसकी माँ गीता ने उसे कुछ नहीं दिया तो ..कपिल को भी समझ में आने लगा ....शायद उसकी माँ के पास कुछ है ही नहीं जो उसे वोह कुछ खरीद के दे सके ...उसने अपने बाल मन को समझाया और दुसरो के चेहरों पे आई ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूंडने लगा .......
जब काफी देर मेला घुमने के बाद भी कपिल ने कोई फरमाइश नहीं की ....तो गीता को लगा ..उसका बहलाना फुसलाना कामयाब रहा ...
पर उसे क्या मालूम था .....इन दबी हुई इच्छाओ में इक ऐसी इच्छा भी थी ..जो बिना कीमत की होते हुए भी इतनी महंगी थी ..जिसे मांगने की ज़िद ने उसे ..अपनी बेबसी और मज़बूरी पे आंशु बहाने को मजबूर कर दिया ....
गीता का कामना तरु किसी कीड़े से ग्रसित हो उठा .....उसके मन की नैया जो किनारे जाती दिखा रही थी .....अचानक मध्य में ही जल मग्न होने लगी .....
अचानक इक बच्चे ने रोते हुए अपनी माँ से कहा ..मैं थक गया हूँ मुझसे अब चला नहीं जाता .....उसकी माँ ने उसे लाड पुचकार कर उसे अपनी गोद में उठा लिया ...कपिल ने जब यह द्रश्य देखा तो उसका भी जी मचल उठा !!
....कपिल को उसकी माँ ने उसकी याददाश्त ...
आज तक ना कभी चूमा , ना पुचकारा और ना कभी अपनी गोद में उठाया था ....
गीता को कपिल के जन्म के कुछ महीनो पहले से ही तपेदिक की बीमारी लग गई थी ....इसलिय ..उसने कपिल को जन्म से ही कभी ज्यादा लाड प्यार नहीं दिखाया था ....उसे डर रहता की ... कंही उसकी बीमारी उसे ना लग जाए ....
पर आज उस बच्चे को देख कपिल का बावरा मन मचल उठा ....उसने जिद भरे लहजे में गीता से कहा ...
माँ .....तुमने ना तो कभी मुझे चूमा... .ना कभी गले लगाया और ना ही कभी मुझे अपनी गोद में उठाया ...कम से कम तुम इतना तो कर सकती हो ..देखो उस बच्चे की माँ उसे कितना प्यार कर रही है? ...
तुम हमेशा कहती हो ....की मैं तुम्हारी आँखों का तारा हूँ ...तुम्हारा सहारा हूँ और तुम्हारा राजकुमार हूँ ...यह कैसी ममता है ?
कपिल की इतनी गंभीर बात सुन गीता सकते में आगई ..उसे समझ ना आया ..की वोह कपिल को कैसे बहला फुसला दे ..उसे लगा ..यह तो छोटा बच्चा है ..इसे मेरी बीमारी वाली बात क्या समझ में आएगी ?
जब कपिल अपनी जिद से ना हटा ..तो मज़बूरी में उसे ....कपिल को अपनी गोदी में लेना पड़ा ....पर उसका कमजोर जज्जर शरीर शायद ...बढ़ते हुए कपिल के बोझ को उठाने में असमर्थ था ...गीता का दम अचानक फूलने लगा ..और उसे बहुत जोर की खांसने की इच्छा होने लगी .....
गीता की स्थिति से अनजान कपिल अपनी ख़ुशी में चूर ..अपनी माँ की गले में बांहे डाले लिपटा हुआ था ....उसे उस वक्त ऐसा लग रहा था की वोह भी कंही का राजकुमार है .....की अचानक उसकी नजर किसी तमाशे पे पड़ी और वोह जल्दी से अपनी माँ की गोद से उतर... उधर की और भागने लगा .....
गीता का कमजोर शरीर...कपिल के अचानक कूदने से अपना संतुलन बना नहीं पाया ..और कपिल जैसे ही उधर की और गया ..की कपिल का हाथ गीता के हाथ से छूट गया और गीता ने जोर से आवाज लगाई.... “कपिल “ बेटा ....पर ...
उसकी बाकी सांसे थमी की थमी रह गई ....वोह कटे पेड़ की भांति जमींन पे गिरी और फिर कभी न उठ सकी ....
इन सबसे अनजान कपिल ..अपनी रों में बहता हुआ ..उस तमाशे को देखता रहा ...भीड़ का रेला आया और कपिल ने अचानक अपने को अकेला पाया ...
उसे याद आया ... अरे मेरी माँ कंहा है? .....
वोह अपनी माँ को अज लगता हुआ ....जोर जोर से रोने लगा और माँ माँ पुकारता हुआ ...मेले में इधर उधर भटकने लगा .....
अचानक इक बच्चे के रोने की आवाज सुन ..रागनी के कदम ठिठक गए ...भगवन की दया से रागनी के पास वोह सब कुछ था जिसे इक आम इन्सान पाना चाहता है ...पर ...शादी के 15 साल बाद भी उसकी गोद खाली थी ...अपनी सूनी गोद की यादो में वोह अपनी ममता को दुसरे बच्चो में उड़ेल अपने गम को हल्का कर लेती थी ....
उसने कपिल को रोता देख ..उसे अपनी गोद में उठा लिया ..और बोली ....
बेटा तुम्हारी माँ कंहा है ..कपिल रोते हुए बोला ..अभी अभी तो बस यंही थी .....मेने उसे बहुत दुःख दिया ...मेने उससे काफी सारी चीजे मांगी थी ....शायद ..इसलिए लगता है वोह मुझसे नाराज हो गई है ....
रागनी का कपिल की मासूम बातो से गला भर आया ....वोह बोली ...कोई बात नहीं ...हम तुम्हारी माँ को यंही ढूंड लेंगे ...तब तक मेरा बेटा..क्या लेगा ?...
वोह कपिल को ..खिलोनो की दुकान पे ले गई ..पर कपिल को कोई भी खिलौना अच्छा नहीं लगा ....फिर रागनी उसे ..गुब्बारे वाले के पास ले गई ..उसे वोह भी अच्छे ना लगे ...जिन जिन खिलोनो और चीजो के लिए थोड़ी देर पहले कपिल मचल रहा था ....अब वोह चीजे उसे बिन माँ के बेकार और बेमतलब की लग रही थी ....
वोह सिर्फ इक ही रट लगाये जा रहा था ..की उसे तो अपनी माँ के पास जाना है ...रागनी ने कपिल को अपनी गोद में उठाये हुए .....पुरे मेले में उसकी माँ की तलाश की ....पर उसका कंही अता पता ना था...
रागनी ने कपिल को खूब सारे खिलोने , मिठाई , गुब्बारे ख़रीदे ..पर वोह उसके चहरे पे ख़ुशी ना ला सकी और न ही उसके आंशु ना पोछ सकी ....
जब काफी देर तक तलाशने के बाद भी ....कपिल की माँ गीता की खोज खबर ना लगी .....तो रागनी ने कपिल से उसका घर का पता पुछा और उसे अपने साथ लेकर उसके घर की तरफ चल दी .....
कपिल अपनी जिन्दगी में आज पहली बार किसी मोटर कार में बैठ रहा था ..अगर कोई और दिन होता तो शायद उसका दिल ख़ुशी में झूम रहा होता और वोह बड़े इतराते हुए अपनी कॉलोनी के लडको पे रूब डालता ....पर आज बिना माँ के उसे सब कुछ ..बेजान और बेमतलब लग रहा था ..उसकी मासूम आँखों से आंशु थे की थमते ही नहीं थे ....
रागनी ने उसपे कितना ही प्यार उडेला , पुचकारा , दुलारा और चूमा ..पर उसे तो जैसे सिर्फ अपनी माँ की ही तलाश थी ....जो उसकी नजरो से कब की दूर हो चुकी थी ...
कपिल के घर के आगे जब मोटर कार रुकी तो ....पूरी कालोनी में हल्ला सा मच गया ....उस कालोनी में कार का आना ही बहुत बड़ी बात थी ...पर कपिल के घर के आगे तो मातम सा था ....इक तरफ उसकी माँ गीता की लाश जमीन पर और दूसरी तरफ उसका बाप अनुपम दारू के नशे में धूत पड़ा था ....
रागनी ने कपिल के बाप ..अनुपम को नशे से उठाया तो वोह किसी अमीर महिला की मौजूदगी से हड बड़ा सा गया ... उसे लगा कोई गीता की मालकिन काम के वास्ते उसे पूछने आई है ....वोह रागनी से बोला ..अरे गीता को काम के लिए देखने आई हो तो उसे भूल जाओ ..वोह तो कबकी इस दुनिया से जा चुकी है ...
रागनी ..बोली ..मैं तो आपका बच्चा घर छोड़ने आई हूँ और ऐसा कह उसने कपिल का हाथ उसके बाप अनुपम के हाथ में पकड़ा दिया ...अपनी माँ को जमींन पे पड़ा देख कपिल का दिल बैठ गया ....वोह अपने बाप से हाथ छुड़ा कर डरके मारे रागनी के पल्लू को पकड खड़ा हो गया और सिसकते हुए बोला मुझे इसके पास नहीं जाना ....
रागनी को सारी स्थिति समझ में आगई....उसने कपिल का हाथ पकड़ा और बोली ..इस बच्चे को मैं अपने साथ लेकर जा रही हूँ ..इसपे अनुपम ने अपना हथकंडा लगाया की यह बच्चा तो उसका सहारा है ..अगर यह चला गया तो उसके बुढ़ापे में कौन सहारा होगा?
अनुपम ने अपने घडियाली आंशु बहाकर और दहाड़े मार कर ऐसा ऐसा सीन बनाया की .....रागनी ने उससे पुछा ..वोह कपिल को गोद लेना चाहती है ...इसपे उसने रागनी से काफी सारे रुपे ऐंठ लिए और बोला ....अब इसे आप ले जा सकती है ....
रागनी कपिल को अपने साथ मोटर में बैठा कर उस दुनिया से दूर ऐसी दुनिया में ले आई ..जिसकी कल्पना कपिल ने कभी की तक ना थी ...पर लगता था जैसे उसे अब किसी भी चीज से कोई रोमांच ना रह गया था ....
अचानक .....रागनी के हाथ के सपर्श ने कपिल को अपनी यादो से निकाल वर्तमान में ला खड़ा कर दिया ..और उसने बड़े दया भाव से रागनी का हाथ पकड चूम लिया और ... उसका मन ही मन शुक्रिया अदा करने लगा .....
By
Kapil Kumar
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